नई दिल्ली से बने हालात में नौकरियां जा रही हैं। इसके कारण देश में अप्रैल के पहले हफ्ते में बेरोजगारी दर 23.4 फीसदी तक पहुंच गई, जबकि मार्च के मध्य में बेरोजगारी की दर सिर्फ 8.4 फीसदी थी। सबसे ज्यादा चोट शहरों में लगी है। शहरों में बेरोजगारी की दर 30.9 फीसदी पहुंच गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के मुताबिक 5 अप्रैल को खत्म हफ्ते के बाद 6 अप्रैल को जारी आंकड़े में बेरोजगारी में यह बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2 हफ्ते में गईं 5 करोड़ नौकरियां भारत के पूर्व चीफ स्टैटिस्टिशियन प्रणब सेन का कहना है कि लॉकडाउन के केवल दो हफ्तों में ही तकरीबन पांच करोड़ लोगों ने अपनी नौकरी गंवा दी है। कई लोगों को अभी घर भेज दिया गया है। ऐसे में सही आंकड़े मिल पाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी का दायरा और बढ़ सकता है जो कुछ दिनों के बाद दिख सकता है। वीकली रिपोर्ट सर्वे पर आधारित आंकड़े भारत में सप्ताहिक या मासिक आधार पर बेरोजगारी के आंकड़े जुटाने का कोई आधिकारिक और भरोसेमंद जरिया नहीं है। इसके चलते सीएमआईई के आंकड़े को लेकर राजनीतिक स्तर पर काफी विवाद होते रहे हैं। सीएमआईई ने यह वीकली रिपोर्ट सर्वे के आधार पर तय की है। सीएमआईई की नौकरियों का सर्वे एक पैनल करता है। यह नियमित तौर पर लोगों में सर्वे करता रहता है। जो अभी नए सर्वे आए हैं, इसमें तकरीबन 9,000 लोग शामिल थे। लॉकडाउन हटने के बाद क्या? बेरोजगारी के आंकड़ों के बारे में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र के असोसिएट प्रोफेसर हिमांशु का कहना है कि ये आंकड़े कुछ हद तक उम्मीद के मुताबिक हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन हटाए जाने के बाद भी देश में बेरोजगारी अधिक रहेगी। 45 साल के हाई पर थी ! सरकार हर साल बेरोज़गारी के आंकड़े पब्लिश करती है। पिछली रिपोर्ट 2010 में जारी की गई थी। इसके मुताबिक, बोरोजगारी की दर 45 साल के हाई पर पहुंचकर 6.1 पर्सेंट रही थी।
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