ऋतुराज तिवारी, नई दिल्ली सरकारी एजेंसियों की ओर से अनाज की जोरदार ढंग से खरीदारी होने और डायरेक्ट कैश ट्रांसफर के जरिए रूरल इकॉनमी में एक लाख करोड़ रुपये जाएंगे। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि इससे ग्रामीण इलाकों में वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ेगी। सरकारी एजेंसियां इस हफ्ते गेहूं की खरीदारी शुरू करेंगी। एजेंसियों ने 19250 रुपये प्रति टन के हिसाब से चार करोड़ टन खरीदारी करने की योजना बनाई है। 15 अप्रैल से शुरू होगी खरीदारी! फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के एक अधिकारी ने बताया, 'पंजाब, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में खरीदारी 15 अप्रैल से शुरू होने की संभावना है। वहीं हरियाणा में खरीदारी 20 अप्रैल से शुरू होगी। इस तरह सरकार अगले तीन महीनों में किसानों के हाथ में करीब 80000 करोड़ रुपये पहुंचाएगी।' सरकार की ओर से अनाज की खरीद और वितरण का जिम्मा ही संभालता है। ग्रामीणों के लिए क्यों जरूरी सरकारी खरीद? ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए सरकारी खरीद अभी ज्यादा अहम हो गई है क्योंकि कोरोनावायरस के प्रसार पर लगाम कसने के लिए घोषित लॉकडाउन के कारण किसान अपनी उपज प्राइवेट ट्रेडर्स को नहीं बेच पा रहे हैं। अधिकारी ने कहा, 'इन दिनों आटा मिलें, बड़ी रिटेलर्स और फूड प्रोसेसिंग कंपनियां किसानों से बड़ी मात्रा में खरीदारी करती हैं, लेकिन अभी वे ऐसा नहीं कर पा रही हैं।' किसानों को 16000 करोड़ रुपये ट्रांसफर केंद्र सरकार ने पीएम-किसान योजना के तहत आठ करोड़ किसानों के बैंक खातों में 16000 करोड़ रुपये भी ट्रांसफर किए हैं। इस तरह किसानों को 6000 रुपये की तीन किस्तों में कैश बेनिफिट मिला है। अब तक इससे 7.47 करोड़ किसानों को लाभ मिला है। केंद्र ने मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर दालों की खरीदारी के लिए 1,250 करोड़ रुपये भी मंजूर किए हैं। इससे भी किसानों को मदद मिलेगी। 25% खरीद MSP पर! कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा, 'राज्य इन कमोडिटीज के कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत हिस्सा मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर खरीद सकते हैं। हमने 1.71 लाख टन चना और 87 हजार टन मसूर की खरीद के लिए 1250 करोड़ रुपये जारी किए हैं।' चने का एमएसपी 4,875 रुपये प्रति क्विंटल और मसूर का 4,800 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। उपज का अच्छा दाम पाने में मदद राज्यों के अलावा NAFED जैसी एजेंसियां भी सोयाबीन और सरसों को किसानों से एमएसपी पर खरीदती रही हैं। इन एजेंसियों की कुल उत्पादन का एक चौथाई हिस्सा खरीदने की सीमा है। अधिकारी ने कहा, 'सरकारी खरीदारी से न केवल किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम पाने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे बाकी 75 प्रतिशत उपज के दाम चढ़ने में भी सहायता मिलेगी जिसे किसान आढ़तियों और मिलों को बेचेंगे।'
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