पंकज डोवाल, नई दिल्ली वित्तीय संकट में फंसी सरकारी टेलिकॉम कंपनी () ने उम्मीद जताई है कि कंपनी के लगभग 80,000 कर्मचारी वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) स्कीम का चयन कर सकते हैं। इससे कंपनी को सैलरी के मद में हर महीने 600 करोड़ रुपये की बचत होगी। को उम्मीद है कि अगर ऐसा हुआ तो उसे हर साल 7,000 करोड़ रुपये की बचत होगी और इस तरह वह पांच साल के भीतर फायदे में आ जाएगी। 70,000 कर्मियों ने चुना वीआरएस बीएसएनएल के सीएमडी प्रवीण कुमार पुरवार का कहना है कि लगभग 70,000 लोग वीआरएस का विकल्प पहले ही चुन चुके हैं और उन्हें उम्मीद है कि दिसंबर में यह स्कीम समाप्त होने से पहले और अधिक तादाद में कर्मचारी वीआरएस ले सकते हैं। 58,000 वीआरएस का था आकलन पुरवार ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, 'हमने हैंडसम वीआरएस पैकेज दिया है और इस बात से आश्वस्त हैं कि 80 हजार लोगों को वीआरएस देने का हमारा लक्ष्य पूरा होगा।' बता दें कि सरकार ने उम्मीद जताई थी कि कंपनी के करीब 58,000 कर्मचारी वीआरएस स्कीम का चयन कर सकते हैं, लेकिन यह संख्या पार कर चुकी है। पढ़ें : देश की सबसे बड़ी लॉस मेकिंग कंपनी बीएसएनएल देश की सबसे बड़ी लॉस-मेकिंग सरकारी कंपनी है और उम्मीद जताई जा रही है कि वित्त वर्ष 2018-19 में इसका नुकसान बढ़कर लगभग 14,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। एमटीएनएल भी लाई वीआरएस स्कीम महानगर टेलिफोन निगम लिमिटेड () ने भी अपने कर्मचारियों के लिए VRS लॉन्च किया है। यह स्कीम गुजरात मॉडल पर आधारित है और यह भी कर्मचारियों के लिए 3 दिसंबर 2019 तक खुली रहेगी। केंद्र सरकार ने पिछले महीने एमटीएनएल और बीएसएनएल को एक साथ लाने की योजना को मंजूरी दी थी।
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