इकॉनमी का इंजन सुस्त, 8 वर्षों के निचले स्तर पर गिरा औद्योगिक उत्पादन

नई दिल्लीऔद्यगिक उत्पादन सितंबर में 4.3 प्रतिशत घट गया। यह इसमें गिरावट का लगातार दूसरा महीना रहा। अप्रैल 2012 से शुरू हुई सीरीज में यह इसका सबसे बुरा हाल है। इससे साफ हो गया है कि इकॉनमी में स्ट्रक्चरल स्लोडाउन बना हुआ है। हालात सुधरने के संकेत कमजोर पड़ने के कारण अगले महीने आरबीआई को मौद्रिक नीति और नरम करनी पड़ सकती है। में 4.3% की गिरावट इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन (IIP) के अनुसार, सितंबर में औद्योगिक उत्पादन 4.3% की गिरावट के साथ इस सीरीज (बेस ईयर 2004-05) में करीब आठ वर्षों के निचले स्तर पर चला गया। अक्टूबर 2011 में में 5% कमी आई थी। सितंबर 2018 में औद्योगिक उत्पादन 4.6% बढ़ा था। अगस्त में आईआईपी में 1.1% गिरावट दर्ज की गई थी, हालांकि अब स्टैटिस्टिक्स डिपार्टमेंट ने इसे संशोधित कर 1.4% कम कर दिया है। ग्रोथ पर होगा असर? इससे लग रहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इकॉनमी की रफ्तार और घट गई होगी। दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े 29 नवंबर को जारी किए जाएंगे। जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5% थी। आरबीआई ने इससे पहले कहा था कि सितंबर तिमाही में ग्रोथ 5.3% रह सकती है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के चीफ इकॉनमिस्ट इंद्रनील पान ने कहा, 'यह इकॉनमी का कमजोर चरण है। सेंटिमेंट मजबूत नहीं है। हालांकि यह कहना मुश्किल है कि इकॉनमी का सबसे खराब दौर बीत चुका है।' आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के अनुसार, दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.9-5.1% रह सकती है। इससे पहले आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019-20 में ग्रोथ का अपना अनुमान 6.8% से घटाकर 6.1% कर दिया था। अर्थशास्त्रियों का डर अर्थशास्त्रियों को डर है कि पूरे वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ की तस्वीर कहीं ज्यादा निराशाजनक होगी। आईसीआरए की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि इंडस्ट्रियल सेक्टर में सुस्ती के चलते मौजूदा वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ घटकर 4.7% के करीब आ सकती है। नोमुरा ने वित्त वर्ष 2020 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अपना अनुमान पहले के 5.7% से घटाकर 4.9% कर दिया है। ऐक्सिस बैंक के चीफ इकॉनमिस्ट सौगत भट्टाचार्य ने कहा, 'ओवरऑल दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ कमजोर रहने के आसार हैं। दमदार ढंग से रिकवरी होने में कुछ समय लगेगा।' सितंबर में कोर सेक्टर की ग्रोथ 5.2% घटी थी। यह 14 वर्षों में इसका सबसे बुरा हाल रहा। मूडीज ने घटाई सॉवरन रेटिंग पिछले सप्ताह मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने भारत की सॉवरन रेटिंग पर आउटलुक को स्टेबल से घटाकर नेगेटिव कर दिया था। उसने कहा था कि इकनॉमिक स्लोडाउन साइक्लिकल के बजाय स्ट्रक्चरल हो सकता है। इसका मतलब यह है कि ग्रोथ रिवाइव करने के लिए ज्यादा नीतिगत बदलावों की जरूरत होगी। सितंबर तिमाही में फैक्टरी आउटपुट ग्रोथ 1.3% रही, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 5.2% थी। केयर रेटिंग्स ने कहा कि वित्त वर्ष 2020 में 4% ग्रोथ हासिल करने के लिए साल की दूसरी छमाही में इंडस्ट्रियल आउटपुट में औसतन 6-6.5% ग्रोथ की जरूरत होगी।


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