और खराब होगी अर्थव्यवस्था की हालत? दूसरी तिमाही में 4.2% तक गिर सकती है GDP ग्रोथ

नई दिल्ली देश के दो दिग्गज बैंकों ने सितंबर में औद्योगिक उत्पादन उम्मीद से ज्यादा गिरने और सार्थक सुधार की संभावना कम होने के चलते मौजूदा वित्त वर्ष में घटकर 5% तक आ जाने का अनुमान दिया है। वित्त वर्ष 2019 में GDP ग्रोथ 6.8% रही थी। ईटी के जुटाए एस्टिमेट से पता चलता है कि सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.2% रह सकती है, जो मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 5% थी। इससे सरकार पर सेंटिमेंट और डिमांड में रिवाइवल के लिए ज्यादा कदम उठाने का दबाव बन सकता है। दूसरे क्वॉर्टर के जीडीपी के ऑफिशल डेटा 29 नवंबर को जारी होंगे, जबकि पूरे साल का अनुमान जनवरी में उपलब्ध होगा। के मुताबिक 4.2% रहेगी जीडीपी ग्रोथ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के इकनॉमिक रिसर्च डिपार्टमेंट की मंथली रिपोर्ट इकोरैप के मुताबिक, 'दूसरे क्वॉर्टर में ऑटोमोबाइल्स की कम सेल्स, एयर ट्रैफिक मूवमेंट में सुस्ती, कोर सेक्टर की फ्लैट ग्रोथ के साथ कंस्ट्रक्शन और इन्फ्रास्ट्रक्चर में घटते निवेश के चलते GDP ग्रोथ रेट 4.2% तक आ सकती है।' SBI की रिपोर्ट में पूरे साल में जीडीपी ग्रोथ पांच पर्सेंट रहने का अनुमान दिया गया है, जो पहले 6.1% बताया गया था। रिपोर्ट में रिजर्व बैंक की तरफ से दिसंबर के मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू में बड़े रेट कट होने का भी अनुमान लगाया गया है, लेकिन बैंक के हिसाब से RBI के लिए ऐसा करना सही नहीं होगा। पढ़ें : औद्योगिक उत्पादन में भारी गिरावट जून क्वॉर्टर में जीडीपी ग्रोथ 5% थी, जो पिछले छह साल की सबसे कम ग्रोथ थी। सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर की औद्योगिक उत्पादन दर 4.3% घटी है। सितंबर की औद्योगिक उत्पादन दर अक्टूबर 2011 के बाद सबसे कम है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में औद्योगिक उत्पादन दर 1.3% रही है, जो पिछले साल की पहली छमाही में 5.2% थी। कमजोर आंकड़ों के चलते जीडीपी एस्टिमेट में कई संस्थानों ने रेटिंग डाउनग्रेड की है। अगस्त के अंत में जारी पहली तिमाही के जीडीपी ग्रोथ एस्टीमेट के मुकाबले ज्यादा बड़ी डाउनग्रेडिंग हुई है। ने भी जीडीपी अनुमान घटाया कोटक महिंद्रा बैंक ने दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.7% रहने का अनुमान दिया है, जबकि पूरे वित्त वर्ष के लिए उसका अनुमान 5% का है। नोट के मुताबिक, कंजम्पशन और इन्वेस्टमेंट में कमजोरी के चलते आई सुस्ती के बीच पहली तिमाही के कमजोर आंकड़ों के बाद अब हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इकनॉमिक एक्टिविटी सरकारी खर्च में बढ़ोतरी होने के बावजूद कमजोर रहने के संकेत दे रहे हैं।' पढ़ें : का भी ग्रोथ रेट कम रहने का अनुमान क्रिसिल के चीफ इकनॉमिस्ट डी के जोशी के मुताबिक, रियल और फाइनैंशल सेक्टर में बनी कमजोरी एक-दूसरे पर दबाव बना रही है। उन्होंने भी सितंबर क्वॉर्टर में जीडीपी ग्रोथ 5% से कम रहने का अनुमान दिया है। उनका कहना है कि रिकवरी धीरे-धीरे होगी, क्योंकि आर्थिक सुस्ती और फाइनैंशल सेक्टर में सफाई का दौर साथ-साथ चल रहा है।


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