नयी दिल्ली, 13 जनवरी (भाषा) जीएसटी संग्रह में कमी, बढ़ते खर्च और औद्योगिक उत्पादन की गति धीमी पड़ने से राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.3 प्रतिशत पर थामने के लक्ष्य को पूरा करना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। विशेषज्ञों ने यह बात कही है। यही नहीं , आम चुनावों से पहले सरकार कुछ लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा कर सकती है। इससे राजकोषीय घाटे को सक्ष्य के अंतर सीमित करने की चुनौती और बढ़ सकती है। कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के साढ़े तीन प्रतिशत के आंकड़े तक पहुंच सकता है।
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