एमएसपी पर खरीद होने से सरसों में सुधार, मांग बढ़ने से पामोलीन में भी तेजी

नयी दिल्ली, 24 मई (भाषा) लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद बाजार की मांग बढ़ने के कारण दिल्ली के थोक तेल-तिलहन बाजार में पिछले सप्ताहांत के मुकाबले सीपीओ और पामोलीन में सुधार आया। इसके अलावा विभिन्न सरसों उत्पादक राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरसों की खरीद शुरू होने से इस देशी तेल कीमतों में तेजी आई। दूसरी ओर नई फसल की आवक शुरू होने से मूंगफली तथा वायदा कारोबार में भाव टूटने के कारण सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई। कमजोरी के आम रुख के बीच बाकी तेल-तिलहनों की कीमतें भी हानि दर्शाती बंद हुईं। बाजार सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्ताहांत के मुकाबले हालांकि सरसों में सुधार आया है लेकिन इसके वायदा भाव एक अप्रैल से लागू 4,425 रुपये क्विन्टल के भाव से कम है। सोयाबीन की बिजाई के ऐन मौके पर वायदा कारोबार में सोयाबीन के भाव टूटने से कारोबार में आम कारोबारी धारणा प्रभावित हुई और समीक्षाधीन सप्ताहांत में बाकी देशी तेल-तिलहनों के भाव भी गिरावट के रुख के साथ बंद हुए। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने एमएसपी पर सरसों किसानों की फसल कई राज्यों में खरीदना शुरू किया है जिससे सरसों किसान काफी उत्साहित हैं और अब औने-पौने दाम पर अपनी फसल बेचने के बजाय बाजार में कम फसल ला रहे हैं। लेकिन सटोरियों ने वायदा कारोबार में सरसों का भाव अभी भी कम चला रखा है। जयपुर के एनसीडीईएक्स में सरसों के जुलाई अनुबंध का भाव 4,310 रुपये बोला गया है। सूत्रों ने कहा कि अगर सरकार ने इन सटोरियों को काबू में कर लिया और किसानों की ज्यादा से ज्यादा फसल की एमएसपी पर खरीद जारी रखी तो देश के किसान काफी उत्साहित होंगे और देश को तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में अधिक वक्त नहीं लगेगा।उन्होंने कहा कि देश में आयात शुल्क मूल्य कम होने के कारण अगले महीने से सोयाबीन की काफी मात्रा में आवक होने की उम्मीद है। ऐसे में देशी सोयाबीन किसानों के हित को ध्यान में रखकर सरकार को सोयाबीन, सूरजमुखी, रैपसीड जैसे तेलों पर आयात शुल्क यथासंभव बढ़ा देना चाहिये जिससे सरकारी खजाने में धन भी आयेगा और देशी तिलहन उत्पादकों के हितों की रक्षा भी होगी। समीक्षाधीन सप्ताहांत में, सरसों दाना (तिलहन फसल), सरसों दादरी, सरसों पक्की और कच्ची घानी तेलों की कीमतों में सुधार देखने को मिला। सरसों दाना (तिलहन फसल), सरसों दादरी की कीमतें क्रमश: 110 रुपये और 270 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,475-4,525 रुपये और 9,150 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं जबकि सरसों पक्की घानी और सरसों कच्ची घानी की कीमतें 65-65 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 1,490-1,635 रुपये और 1,560-1,680 रुपये प्रति टिन पर बंद हुईं। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान वायदा कारोबार में एमएसपी से कम कीमत पर सोयाबीन के लिए बोली लगाये जाने की वजह से मूंगफली दाना सहित उसके तेलों की कीमतों में गिरावट का रुख कायम हो गया। मूंगफली दाना और मूंगफली गुजरात के भाव क्रमश: 60 रुपये और 250 रुपये घटकर क्रमश: 4,890-4,940 रुपये और 13,500 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव भी 40 रुपये की हानि के साथ 1,990-2,040 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ। वनस्पति घी का भाव 10 रुपये की हानि के साथ 945-1,050 रुपये प्रति 15 किग्रा पर बंद हुआ जबकि पश्चिम बंगाल से नई फसल की आवक के कारण तिल मिल डिलिवरी का भाव 400 रुपये की हानि दर्शाता 10,000-13,100 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। सोयाबीन के बिजाई का समय नजदीक आ रहा है और सटोरियों ने वायदा कारोबार में इसका भाव नीचे चला रखा है। वायदा कीमत टूटने से सोयाबीन के हाजिर भाव भी दबाव में हैं। सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में क्रमश: 120 रुपये, 120 रुपये और 100 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 8,500 रुपये, 8,450 रुपये और 7,350 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) की कीमत भी 300 रुपये के घाटे के साथ 7,400 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुई। वायदा भाव टूटने के कारण सोयाबीन में आम गिरावट रुख के अनुरूप सोयाबीन दाना और सोयाबीन लूज के भाव, पिछले सप्ताहांत के मुकाबले क्रमश: 115-115 रुपये की हानि दर्शाते समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 3,825-3,875 रुपये और 3,625-3,675 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।


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