सरकारी राहत नहीं मिली तो समय पैसा चुकाना मुश्किल: वोडा आइडिया

सलोनी शुक्ला, देविना सेनगुप्ता एवं कल्याण पर्बत/मुंबई, कोलकाता आइडिया के टॉप मैनेजमेंट ने कंपनी को उधार देने वालों से कहा है कि सरकार से अगर तत्काल राहत नहीं मिली तो समय पर पैसा चुकाना शायद संभव न हो। मामले से वाकिफ लोगों के मुताबिक, मैनेजमेंट ने कहा है कि अगर ने अगले तीन महीनों में एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू से जुड़ा बकाया वसूलने के लिए बैंक गारंटी भुनाने का निर्णय कर लिया तो लेंडर्स को पैसा लौटाना कंपनी के लिए आसान नहीं होगा। 'सरकारी सपोर्ट पर टिकी नजर' कंपनी के एमडी रवींद्र टक्कर ने एनालिस्ट कॉल में पिछले हफ्ते कहा था कि सरकारी सपोर्ट पर तो नजर टिकी ही हुई है, कंपनी अपने डेटा सेंटर्स और ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क को बेचने की योजना भी बना रही है ताकि पैसा जुटाया जा सके। एक सीनियर अधिकारी ने कहा, 'वोडाफोन आइडिया को बड़ा कर्ज देने वाले बैंकों ने पिछले हफ्ते टक्कर सहित कंपनी के सीनियर अधिकारियों से मुलाकात की थी। अधिकारियों ने कहा था कि दूरसंचार विभाग ने अगर बैंक गारंटी भुनाने और कोई राहत नहीं देने का फैसला किया तो बकाया चुकाना मुश्किल हो जाएगा।' अधिकारी ने बताया, 'उन्होंने हमसे कहा है कि गेंद अब सरकार के पाले में है।' पढ़ें : कंपनी को ₹50,921.9 करोड़ का घाटा वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) ने सितंबर तिमाही के लिए ₹50,921.9 करोड़ का घाटा दर्ज किया है। उस पर करीब ₹1.02 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। इसमें से अधिकांश बकाया स्पेक्ट्रम और इंट्रेस्ट पेमेंट से जुड़ा है। कंपनी पर लाइसेंस फीस, स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज, इंट्रेस्ट और पेनल्टी के रूप में ₹44,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त देनदारी भी आ गई है, जिसे तीन महीने से कम समय में चुकाना है। 24 अक्टूबर को आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से यह स्थिति बनी है। कोर्ट ने की गणना में कंपनियों की नॉन-कोर गतिविधियों से आमदनी को शामिल करने की दूरसंचार मंत्रालय की दलील को सही माना था। पढ़ें : पेमेंट से छूट पर निर्भर कारोबार जारी रहना कंपनी ने कहा है कि उसके कारोबार का जारी रहना AGR से जुड़े बकाये पर ब्याज और जुर्माने को माफ करने, टैक्स घटाने और स्पेक्ट्रम पेमेंट से कुछ साल की छूट दिए जाने जैसी राहत मिलने पर निर्भर है। कंपनी सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के इसके प्रस्तावित रिव्यू का नतीजा सकारात्मक निकलने की उम्मीद भी कर रही है। टक्कर ने कहा कि ऐसा न होने पर पांच जजों की बेंच के सामने एक क्यूरेटिव पिटीशन फाइल की जा सकती है और वह बेंच 24 अक्टूबर का जजमेंट देने वाली बेंच से अलग होगी। पढ़ें : प्रोविजनिंग से बढ़ा घाटा कंपनी ने कहा है कि उसने अतिरिक्त देनदारी के लिए 25,680 करोड़ रुपये अलग दर्ज किए हैं, जिससे उसका तिमाही घाटा बढ़ा। सितंबर तिमाही में इसकी आमदनी 10,440 करोड़ रुपये रही। इसकी ऑपरेटिंग इनकम 3,347.1 करोड़ रुपये रही। ईटी को पता चला है कि कंपनी की मांग नहीं मानी गई तो वह बैंकों से कह सकती है कि वे ही मिनिस्ट्री को पत्र लिखें। एक अन्य बैंक अधिकारी ने कहा, 'पहले मैनेजमेंट को दूरसंचार विभाग से बातचीत कर लेने दीजिए। अगर मांगें नहीं मानी गईं तो लेंडर्स मिनिस्ट्री को औपचारिक पत्र लिखने पर विचार कर सकते हैं, क्योंकि हमारा बहुत पैसा उधार है।'


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