नई दिल्ली उपभोक्ता खर्च के 45 सालों के निचले स्तर पर पहुंचने से जुड़ी खबरों और इसपर रिपोर्ट प्रकाशित न करने के सरकार के फैसले पर शनिवार को केंद्रीय वित्त मंत्री ने चुप्पी तोड़ी। उन्होंने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि डेटा में गलतियों के चलते सरकार ने उपभोक्ता खर्च से जुड़ी रिपोर्ट को जारी न करने का फैसला लिया। अगले बजट में मिडिल क्लास के लोगों को राहत के बारे में वित्त मंत्री ने गोलमोल जवाब देते हुए कहा है कि यह सही बात है कि मकान के ज्यादातर खरीदार मिडिल क्लास से हैं और अफोर्डेबल होम को लेकर हमने कई घोषणाएं की हैं। गलतियों के चलते रिपोर्ट नहीं हुआ जारी उन्होंने कहा, 'हर अर्थव्यवस्था से जुड़े हर डेटा के लिए डेटा पर विवाद नहीं हो सकता। नीति आयोग, केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय तथा मुख्य आर्थिक सलाहकार ने एंप्लॉयमेंट पर इस बात को स्पष्ट किया है कि भारत में क्यों रोजगार संबंधित आंकड़े सटीक नहीं होते और इनपर आप कतई टिप्पणी नहीं कर सकते। खपत से जुड़े आंकड़ों पर क्या यह बात लागू नहीं हो सकती। सरकार ने खुद महसूस किया है कि आंकड़ों में कुछ गलतियां हो सकती हैं और इसलिए हमने इसे जारी न करने का फैसला किया।' पढ़ें : RBI के कंज्यूमर सेंटिमेंट सर्वे को नकारा सर्वे के 6 साल के निचले स्तर पर पहुंचने की रिपोर्ट को वित्त मंत्री ने खारिज करते हुए कहा कि अगर कंज्यूमर कॉन्फिडेंस पटरी पर नहीं है तो बैंकों द्वारा दो कार्यक्रमों के तहत बांटे गए भारी लोन के बारे में क्या कहेंगे। उन्होंने कहा, 'पहले चरण में 81,000 करोड़ रुपये के लोन बांटे गए, जबकि दूसरे चरण में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के लोन बांटे गए हैं। ये लोन देशभर में बांटे गए हैं।' उन्होंने कहा, 'दूसरी बात यह है कि आप यूज्ड कारों की बिक्री पर गौर कीजिए। एक बड़ी कार कंपनी के अधिकारियों से मेरी बात हुई और मैंने उनसे इन्वेंट्री के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि उन्हें कोई समस्या नहीं है। क्या ऐसा बिना कंज्यूमर सेंटिमेंट के ही हुआ है। एक और कार कंपनी के अधिकारी से मैंने मुलाकात तो नहीं की, लेकिन उन्होंने कहा कि उनका तमाम स्टॉक निकल चुका है और दो से तीन महीने की वेटिंग चल रही है। यह इस बात को स्पष्ट करता है कि कंज्यूमर सेंटिमेंट सुधार की राह पर है।' पढ़ें : 'आरबीआई कर रहा है आत्मविश्लेषण' पीएनबी, आईएलऐंडएफएस से लेकर पीएमसी बैंक में हुए घोटालों से निपटने में आरबीआई की भूमिका पर वित्त मंत्री ने कहा कि मैंने इन मुद्दों पर आरबीआई के गवर्नर से बातचीत की है। उन्होंने कहा, 'मैं इस बात से अवगत हूं कि इन मुद्दों पर आरबीआई आत्मविश्लेषण कर रहा है। वे इस बात पर गौर कर रहे हैं कि इसे किस तरह रफ्तार दी जाए।' पढ़ें : 'कंपनियों के नए निवेश में लगेगा वक्त' कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती और इसका जमीन पर होने वाले असर के बारे में वित्त मंत्री ने कहा, 'लोग अक्सर यह सवाल करते हैं कि कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के बाद क्या हुआ? क्या निवेश में बढ़ोतरी हुई? क्या निवेशकों ने ताजा निवेश की शुरुआत की? मैं उद्योग के दिग्गजों से बातचीत कर रही हैं, जिनका कहना है कि वे सही समय पर निवेश करेंगे।' उन्होंने कहा, 'लोगों का कहना है कि जमीनी स्तर पर टैक्स में कटौती का कोई असर नहीं दिख रहा है। मैंने 20 सितंबर को टैक्स में कटौती की घोषणा की थी और उद्योगों को निवेश के फैसले के बारे में घोषणा करने में वक्त लगेगा। कई सेक्टर्स के लोग मेरे पास आकर बता रहे हैं कि वे अब संकट से निकल चुके हैं।'
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