अमित आनंद चौधरी, नई दिल्ली यह का चुनाव होगा कि अगर किसी हाउसिंग प्रॉजेक्ट में देरी हो रही है तो वह उसमें फ्लैट ले या फिर बिल्डर से अपना पैसा वापस ले।राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने फैसला सुनाया है कि बिल्डर यह कहकर पैसे देने से इनकार नहीं कर सकता कि फ्लैट तैयार है। जस्टिस वीके जैन की बेंच ने दिल्ली के एक बिल्डर पॉइनर अर्बन लैंड ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर को एक होमबायर को 4.43 करोड़ रुपये चुकाने के लिए कहा है, जिसने साल 2012 में गुड़गांव में फ्लैट के लिए पैसा इन्वेस्ट किया था। इस फ्लैट को साल 2015 में सौंपा जाना था लेकिन बिल्डर ऐसा करने में नाकाम रहा और होमबायर ने अपना पैसा वापस पाने के लिए साल 2018 में का दरवाजा खटखटाया। देना होगा होमबायर को ब्याज के साथ पूरा पैसा हालांकि बिल्डर ने फ्लैट का निर्माण कर दिया था और होमबायर के शिकायत दर्ज कराने के एक पखवाड़े पहले ही संबंधित अथॉरिटी से कब्जे का सर्टिफिकेट हासिल कर लिया था। इसके बाद भी कमिशन ने बिल्डर से पैसा वापस करने को कहा क्योंकि इस प्रॉजेक्ट में 2 साल की देरी हो चुकी थी। के फैसले का उल्लेख करते हुए कमिशन ने कहा कि बिल्डर को पैसा वापस करना होगा क्योंकि बिल्डर तय समय में कब्जे का सर्टिफिकेट हासिल नहीं कर पाया और एग्रीमेंट के तय समय पर खरीदार को फ्लैट का कब्जा दिलाने में नाकाम रहा। कमिशन ने कहा कि फ्लैट खरीदार को फ्लैट का कब्जा लेने पर मजबूर नहीं किया सकता क्योंकि एग्रीमेंट खत्म होने के 2 साल से भी ज्यादा समय बाद यह फ्लैट ऑफर किया गया है। आयोग ने बिल्डर को प्रति वर्ष 10.65% की दर से ब्याज के साथ घर खदीदार को यह राशि वापस करने का निर्देश दिया है।
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