वित्तीय स्थिरता के लिए जरूरी नीतिगत कदम उठाए हैं सरकार ने: अधिकारी

नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) सरकार ने वित्तीय स्थिरता लाने के लिये जरूरी नीतिगत कदम उठाये हैं। एक सरकारी अधिकारी ने इसका दावा करते हुये कहा कि प्रशासन ने फंसे कर्ज की समस्या में उलझे बैंकों के कामकाज को करीब करीब साफ सुथरा कर दिया है। आर्थिक मामला विभाग के अतिरिक्त सचिव सी एस महापात्रा ने कहा कि जिंस कारोबार कर (सीटीटी) और प्रतिभूति कारोबार कर (एसटीटी) समेत भारतीय एक्सचेंजों में लेनदेन की लागत सिंगापुर और हांगकांग जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों की तुलना में ज्यादा है। उन्होंने कहा कि कुछ समय के बाद लेनदेन लागत कम की जानी चाहिए। महापात्रा यहां पीएचडी चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित 'पूंजी बाजार और जिंस बाजार - पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ना’ आयोजित वार्षिक सम्मेलन में बोल रहे थे। अधिकारी ने कहा कि सरकार ने अपनी पूरी कोशिश की है और देश के संस्थागत तंत्र में वित्तीय स्थिरता लाने के लिए पहले से ही आवश्यक नीतिगत उपायों को स्थापित किया है जो वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए रास्ता बनायेगा। गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की स्थिति के संबंध में, महापात्रा ने कहा: "हमने इसे लगभग साफ कर दिया है और हमने एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) के माध्यम से आईबीसी (दिवालिया एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता) के माध्यम से भी इसे मजबूत किया है ...।" उन्होंने यह भी कहा कि 5,000 अरब डालर आकार की भारतीय अर्थव्यवस्था लक्ष्य को हासिल करने के लिये उपभोक्ता जिंस और पूंजी बाजार में वास्तविक पक्षों के बीच अधिक वित्तीय साक्षरता और वित्तीय समावेश के सतत प्रयास होने चाहिये। यह पहल इस दिशा में काफी अहम हो सकती है। भाषा राजेश राजेश महाबीरमहाबीर

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