अलनूर पीरमोहम्मद, बेंगलुरु देश की और छोटी कंपनियां छह महीने की पेड मैटरनिटी लीव वाली सरकारी पॉलिसी से जुड़ी ऊंची कॉस्ट से बचने के लिए महिलाओं की हायरिंग नहीं कर रही हैं। यह जानकारी एक सर्वे से मिली है। सर्वे में हिस्सा लेने वाली करीब 50 पर्सेंट अर्ली-एज स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियों ने बताया कि उन्होंने पिछले एक साल में बहुत कम फीमेल स्टाफ हायर किया है या इनकी बिल्कुल ही हायरिंग नहीं की है। कम्युनिटी प्लेटफॉर्म लोकलसर्किल्स के शोध के मुताबिक, बीते 12 महीनों में 49 पर्सेंट फर्मों ने महिलाओं की कम या बिल्कुल भी नहीं हायरिंग की है। करीब इतने ही रेस्पॉन्डेंट्स ने पेड मैटरनिटी लीव घटाकर तीन महीने या एक महीना करने या पूरी तरह खत्म करने की मांग रखी है। सर्वे में 8,500 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। इनमें से 33 पर्सेंट ने बताया कि उन्होंने सालभर पहले की इसी अवधि में भी करीब इतनी ही हायरिंग की थी। वहीं 16 पर्सेंट ने बताया कि उन्होंने इससे अधिक फीमेल स्टाफ कंपनी से जोड़ा था। हालांकि, 44 पर्सेंट रेस्पॉन्डेंट्स ने कहा कि सरकार की यह नीति बरकरार रहनी चाहिए। लोकलसर्किल्स के सर्वे में स्टार्टअप्स और स्मॉल बिजनेसेज ने कहा कि जिन कंपनियों का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ रुपये से कम है, उनके लिए पेड मैटरनिटी की अवधि छह महीने से घटाकर तीन महीने कर देनी चाहिए। इस स्टडी के अनुसार, 'अगर ऐसा किया जाता है तो स्टार्टअप और SME इंडस्ट्री को महिलाओं को समान मौके देने के लिए बढ़ावा मिलेगा। कंपनियां फीमेल एंप्लॉयी हायर करने में हिचकिचाएंगी नहीं।' कंपनियों को स्टाफ मुहैया कराने वाली फर्म एक्सफेनो के को-फाउंडर कमल कारंथ ने बताया सरकारी पॉलिसी लागू किए जाने के बाद से महिलाओं की कम हायरिंग का चलन बढ़ा है। निवेशकों का सहारा पा चुकी स्टार्टअप्स कानून का पालन कर रही हैं। हालांकि, केवल पांच पर्सेंट स्टार्टअप्स फंड जुटा पाती हैं। ऐसे में बाकियों के लिए इसकी कॉस्ट काफी ज्यादा है। कारंथ ने कहा, 'MSME के लिए सरकार को एक तय स्टेज तक मैटरनिटी लीव का लाभ देना चाहिए था। इस पर फर्मों को कम खर्च करना पड़ता। नौकरी करने वाली महिलाओं की संख्या 30 पर्सेंट से कम है। इनमें से केवल कुछ को मैटरनिटी बेनेफिट दिया जाएगा।' हालांकि, सरकार ने कंपनियों के लिए मैटरनिटी बेनेफिट का पूरा खर्च उठाना अनिवार्य किया है। इस कारण छोटी फर्में महिलाओं और खास तौर पर 25-35 वर्ष की आयु वाली फीमेल एंप्लॉयीज रखने से बच रही हैं।
from Latest Business News in Hindi - बिज़नेस खबर, बिज़नेस समाचार, व्यवसाय न्यूज हिंदी में | Navbharat Times http://bit.ly/39EW3JH