अश्विन मणिकंदन, मुंबई कोरोना महामारी से निपटने के लिए घोषित लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों के ठप पड़ने के बीच गरीबों के लिए घोषित सरकारी राहत योजना पर अमल की राह आसान नहीं दिख रही है। मुश्किलें करीब-करीब वैसी ही दिख रही हैं, जो नोटबंदी के दौरान थीं। ऐसे में गरीबों के खातों में सामाजिक कल्याण योजनाओं का पैसा सीधे भेजने में परेशानी हो सकती है। कई चुनौतियों से होगी मुश्किल डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर में बैंक, एटीएम ऑपरेटर, बैंक मित्र और फाइनैंशल टेक्नॉलजी कंपनियों सहित कई पक्ष काम करते हैं। इन सभी का कहना है कि रिलीफ फंड गरीबों को उपलब्ध कराने में कई चुनौतियां दिख रही हैं। फाइनैंस मिनिस्ट्री ने पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज की विभिन्न योजनाओं के तहत देश के 'सर्वाधिक गरीब 80 करोड़ लोगों' के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी। यह पैकेज पहली अप्रैल से तीन महीनों के लिए है। पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर का मसला एटीएम में पर्याप्त कैश न होने के अलावा यह चिंता भी जताई जा रही है कि आधार पे मॉडल का पहले कभी इतने बड़े पैमाने पर उपयोग नहीं किया गया है और यह पता नहीं है कि यह कितना कारगर हो सकेगा। साथ ही, डिजिटल पेमेंट स्वीकार करने का इन्फ्रास्ट्रक्चर भी कुछ खास मजबूत नहीं है और ग्रामीण इलाकों में एटीएम की संख्या भी कम है। वहीं काफी लोगों के पास बैंक खाते भी नहीं हैं। आने वाले हफ्तों में सरकार को इन मोर्चों पर ध्यान देना होगा। कैश की तंगी से एटीएम ठप हिताची पेमेंट सर्विसेज के एमडी और सीईओ (कैश बिजनेस) रुस्तम ईरानी ने कहा, 'वॉइट लेबल एटीएम के लिए कैश प्राय: स्थानीय बैंक शाखाओं से लिया जाता है, लेकिन कॉमर्स एक्टिविटी घटने के कारण ग्रामीण इलाकों में बैंकों की शाखाओं में कैश कम आ रहा है। ऐसे में हमारे सामने कैश की तंगी की स्थिति है और कई एटीएम काम नहीं कर रहे हैं।' मच सकती है विदड्रॉल की मारामारी आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 2.3 लाख एटीएम हैं। इनमें से केवल 45,000 एटीएम ग्रामीण इलाकों में हैं। एक अन्य स्टेकहोल्डर ने कहा कि कैश सप्लाई घटने से नोटबंदी के दिनों की तरह विदड्रॉल्स की मारामारी मच सकती है, क्योंकि ग्रामीण और शहरी, दोनों इलाके मिलाकर देश में रिटेल खर्च का 90 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा कैश में है। एटीएम मेंटनेंस बड़ी चुनौती मूवमेंट पर लगी पाबंदियों के कारण एटीएम का मेंटेनेंस भी एक चुनौती है। बैंकों को एटीएम सेवा देने वाली एजीएस ट्रांजैक्ट के चेयरमैन रवि गोयल ने कहा, 'संबंधित स्टाफ के आवागमन से जुड़ी मुश्किलों के कारण यह एक बड़ी चुनौती है।' डिजिटल तरीकों से लेनदेन का रास्ता ग्रामीण इलाकों में डिजिटल ट्रांजैक्शंस के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी और जागरुकता का अभाव भी एक बाधा है। ईटी के सवालों के जवाब में एसबीआई चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा, 'इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी चुनौती ग्रामीण इलाकों में है। हालांकि यह जागरुकता और आदत का मामला भी है। हम सभी कस्टमर्स से यथासंभव डिजिटल तरीकों से लेनदेन करने के लिए कह रहे हैं।' 30% बैंक मित्र ही कर रहे काम इस स्थिति में करीब 10 लाख बैंक मित्रों पर रिलीफ फंड के कन्वर्जन की जिम्मेदारी होगी। हालांकि, फाइनैंशल इंक्लूजन सर्विस एफआईए टेक्नॉलजी की सीईओ सीमा प्रेम ने कहा, 'लोकल अथॉरिटीज की ओर से यात्रा पर लगी पाबंदियों के कारण हमारे केवल 30 प्रतिशत बैंक मित्र ही काम कर पा रहे हैं। यह हाल तब है, जब सरकार ने उनकी सेवाओं को आवश्यक घोषित किया है।'
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