आदिल शेट्टी 'मुश्किल की घड़ी हमेशा नहीं रहती, लेकिन मजबूत संस्थान हमेशा टिके रहते हैं।' इसके माध्यम से इस चुनौती के बारे में यह कहने की कोशिश की गई है कि भारत को वर्तमान में कोविड-19 संकट का सामना करना पड़ रहा है। संकट की इस घड़ी में हमारे देश की अर्थव्यवस्था और आम लोगों के सामने आ रही फाइनैंशल चुनौतियों का सामना करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया () की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) ने अपनी निर्धारित अप्रैल की बैठक से पहले अपनी बैठक की। सेंट्रल बैंक ने कोविड-19 संकट के कारण देश की अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण ऐलान किए। रीपो रेट में बड़ी कटौती यहां RBI MPC के कुछ बड़े ऐलान के बारे में बताया गया है, जिनका असर आपके पैसे पर पड़ सकता है। रीपो रेट कम होने का मतलब है, लोन अब और सस्ता हो जाएगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की MPC ने गुमनाम तरीके से रीपो रेट को 75 बेसिस पॉइंट्स (bps) कम करने के पक्ष में वोट दिया जो एक महत्वपूर्ण इंट्रेस्ट रेट है। इस रेट कटौती के कारण रीपो रेट 5.15% से घटकर 4.40% हो गया है। यह आज का सबसे बड़ा ऐलान था और इससे उधारकर्ताओं को काफी राहत मिलेगी। पढ़ें : दशक में सबसे कम रीपो रेट इससे यह रीपो रेट अब पिछले एक दशक के दौरान रहे रीपो रेट की तुलना में सबसे कम हो गया है। इसके परिणामस्वरूप, अगले शेड्यूल्ड रिसेट्स के दौरान लोन रेट्स कम हो जाएंगे। उदाहरण के तौर पर, SBI के होम लोन का एक्सटर्नल बेंचमार्क रेट (EBR) रीपो रेट से जुड़ा है। यह EBR फिलहाल 7.80% है। अगले रिसेट पर, EBR घटकर 7.05% हो जाएगा। इंट्रेस्ट का बोझ कम होने से उधारकर्ताओं को बहुत फायदा होगा। MCLR से जुड़े लोन के रेट में कटौती देखने को मिलेगी। बैंक आने वाले दिनों में धीरे-धीरे इन कटौतियों का ऐलान कर सकते हैं। पिछले साल RBI के अध्यादेश पर कई बैंकों ने रीपो रेट से जुड़े नए लोन प्रोडक्ट लॉन्च किए थे। रीपो रेट से जुड़े लोन के मामले में इंट्रेस्ट रेट कम से कम हर तीन महीने में एक बार रीसेट होता है। रीपो रेट के कम होने से सभी उधारकर्ताओं को कम इंट्रेस्ट रेट का लाभ मिलेगा। टर्म लोन पर मोरेटोरियम RBI ने ऐलान किया है कि सभी उधार देने वाले संस्थानों को होम, कार और पर्सनल लोन सहित टर्म लोन के मामले में 3 महीने का मोरेटोरियम लगाने की अनुमति है। बयान में कहा गया है, 'सभी कमर्शल बैंकों (जिसमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, छोटे फाइनैंस बैंक और स्थानीय बैंक भी शामिल हैं), कोऑपरेटिव बैंकों, पूरे भारत के फाइनैंशल संस्थानों और NBFC (जिसमें हाउजिंग, फाइनैंस कंपनियां और छोटे-मोटे संस्थान भी शामिल हैं) को 1 मार्च 2020 तक के अनुसार बाकी रहने वाले सभी टर्म लोन के मामले में इंस्टॉलमेंट के पेमेंट पर तीन महीने का मोरेटोरियम लगाने की अनुमति दी जा रही है। इसके अनुसार, रीपेमेंट्स शेड्यूल और उसके बाद के सभी ड्यू डेट्स को तीन महीने तक आगे बढ़ाया जा सकता है।' 3 महीने का ईएमआई हॉलिडे इसका मतलब है कि यदि आपका बैंक या आपको उधार देने वाले संस्थान आपके फाइनैंशल कंडीशन के आधार पर आपको ऐसा करने की अनुमति देते हैं तो आप तीन महीने के EMI हॉलिडे का आनंद उठा सकते हैं। इस मोरेटोरियम के कारण उन उधारकर्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी जो इस मुश्किल समय में इनकम की अनिश्चितता से जूझ रहे हैं और जिन्हें अनिश्चित फाइनैंशल फ्यूचर का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन, यदि आप अपने EMI का पेमेंट करते रहने की स्थिति में हैं तो आपको उसका पेमेंट करते रहना चाहिए, क्योंकि ऊपर दी गई सुविधा के अनुसार आपके EMI को कैंसल नहीं किया जा रहा है, बल्कि उसे बस कुछ समय के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है। लगातार पेमेंट करते रहने से आपके लोन का बोझ कम हो जाएगा। सबसे जरूरी बात तो यह है कि आपको अपनी उधार देने वाली कंपनी से साफ तौर पर इस बात की पूरी जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए कि वे इस मोरेटोरियम को कैसे लागू करेंगे और कही-सुनी बात के आधार पर कुछ भी मानकर न चलें। क्रेडिट कार्ड ड्यूज क्रेडिट कार्ड बकायों पर भी मोरेटोरियम की घोषणा कर दी गई है। लेकिन क्रेडिट कार्ड का कर्ज एक महंगा कर्ज माना जाता है, क्योंकि इसका ब्याज बड़ी तेजी से जमा होता चला जाता है। इसी वजह से क्रेडिट कार्ड का भुगतान करते रहने चाहिए, क्योंकि मोरेटोरियम के दौरान भी इस पर ब्याज लगता रहेगा जो आगे चलकर एक बड़ा वित्तीय बोझ बन सकता है। इसलिए, यदि आप आसानी से ये भुगतान करने में सक्षम हैं तो समय रहते अपना बकाया चुकाते रहें। क्रेडिट स्कोर टर्म लोन पर मोरेटोरियम का ऐलान करते समय RBI ने कहा था कि एक व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री पर इस लोन EMI हॉलिडे का कोई असर नहीं पड़ेगा। यह बहुत मायने रखता है क्योंकि एक अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री, समय पर रीपेमेंट करते रहने पर बनती है। सेंट्रल बैंक द्वारा मोरेटोरियम का ऐलान किए जाने के बावजूद, अपने ड्यू का रीपेमेंट करते रहने और अपना क्रेडिट स्कोर चेक करते रहने में ही बुद्धिमानी है, ताकि कोई बड़ी समस्या दिखाई देने पर उस पर ध्यान दिया जा सके। डिपॉजिट, स्मॉल सेविंग्स रिटर्न कम हो जाएगा, डेट फंड को फायदा होगा रीपो रेट में कटौती होने पर सेविंग्स, फिक्स्ड और रेकरिंग डिपॉजिट्स और स्मॉल सेविंग स्कीम्स का इंट्रेस्ट रिटर्न भी कम हो जाएगा। आपके इंट्रेस्ट रिटर्न में कितनी कमी आएगी, इसके बारे में जानने के लिए आपको अपने बैंक की तरफ से मिलने वाले अपडेट्स पर ध्यान देना चाहिए। सरकार किसी भी वक्त PPF जैसी स्कीम्स में भी रेट कटौती का ऐलान कर सकती है, जबकि यह देखना अभी बाकी है। रीपो रेट कटौती से लॉन्ग टर्म डेट फंड्स को फायदा पहुंचेगा। इंट्रेस्ट रेट में कटौती होने पर बॉन्ड की कीमत बढ़ जाती है, जिससे बॉन्ड फंड्स का NAV भी बढ़ने लगता है। रिवर्स रेपो रेट, SLR, CRR में कटौती का असर RBI ने रिवर्स रीपो रेट यानी उस रेट में भी 90 बेसिस पॉइंट्स की भारी कटौती का ऐलान किया है, जिस रेट से बैंक को RBI के पास रखे गए पैसे पर इंट्रेस्ट मिलता है। आज की रेट कटौती के बाद रिवर्स रीपो रेट में 4% की गिरावट के कारण, RBI ने बैंकों के लिए RBI के पास निष्क्रिय रूप से फंड्स डिपॉजिट करके रखना थोड़ा अनाकर्षक बना दिया है, जिसके बजाय वे उसका इस्तेमाल लोगों को उधार देने के लिए कर सकते हैं। इस काम में मदद करने के लिए RBI ने सभी बैंकों के कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में भी 100 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करके उसे 3% कर दिया है और मिनिमम डेली CRR बैलेंस मेंटनेंस को 90% से घटाकर 80% कर दिया है। RBI ने कैपिटल कंजर्वेशन बफर की आखिरी किस्त के ट्रांसफर को भी कुछ समय के लिए टाल दिया है। इन सभी स्टेप्स की वजह से सिस्टम में बड़ी तेजी से लिक्विडिटी बढ़ेगी और उधारदाताओं को बहुत कम रेट पर लोन देने में मदद मिलेगी। अंत में संकट की इस घड़ी में आपको एक किफायती बजट पर ही चलना चाहिए, क्योंकि सरकार आपके जीवन को आरामदायक बनाने के लिए जो कुछ कर सकती है, वह सब कर रही है। अब सुरक्षित और स्वस्थ रहना आपके हाथ में है। RBI ने MPC स्पीच के अंत में जो सुझाव दिया है उस पर अमल करें - ‘साफ रहें, सुरक्षित रहें, डिजिटल तरीका अपनाएं।’ (लेखक बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ हैं)
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