नई दिल्ली दो महीने के भीतर ही नागरिकता कानून को लेकर फिर छिड़ी हिंसा दिल्ली की इकॉनमी के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। पहले ही वायु प्रदूषण और हिंसा के चलते टूरिस्ट फुटफॉल और कई सर्विस ऐक्टिविटीज में गिरावट दर्ज कर चुकी राजधानी के नॉर्थ-ईस्ट इलाके में बसे रेडीमेड गारमेंट हब और ड्राई-फ्रूट प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में सन्नाटा पसरने लगा है। हिंसक झड़पें रिहायशी इलाकों तक सीमित हैं, लेकिन बड़े इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स में वर्कफोर्स की किल्लत सामने आने लगी है। दिसंबर 2019 में 60% कम सैलानी पर्यटन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, भारत आने वाले 28% विदेशी सैलानी सीधे दिल्ली आते हैं। पिछले साल यह तादाद 30 लाख थी। पलूशन के चलते अक्टूबर से मार्च के पीक सीजन में इनकी तादाद लगातार घट रही है, लेकिन दिसंबर 2019 में पर हिंसा के दौरान करीब 60% टूरिस्ट कम आए थे और टेलिकॉम, ई-कॉमर्स सहित कई सर्विसेज को भी करोड़ों का नुकसान हुआ था। गारमेंट हब को बड़ा नुकसान अब किफायती कपड़ों के सबसे बड़े मैन्युफैक्चरिंग हब कहे जाने वाले सीलमपुर, जाफराबाद, मौजपुर, मुस्तफाबाद पर हिंसा का असर दिखने लगा है। इन इलाकों में गारमेंट और अक्सेसरीज बनाने वाली करीब एक लाख माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंडस्ट्रीज, ट्रेडिंग फर्में और हाउसहोल्ड इंडस्ट्रीज हैं। मंगलवार को यहां औद्योगिक इलाकों में भी सन्नाटा नजर आया, क्योंकि बड़ी तादाद में वर्कफोर्स और बाहरी ट्रेडर्स ने यहां आना बंद कर दिया है। धारा-144 और जगह-जगह बैरिकेडिंग से ट्रांसपॉर्ट कनेक्टिविटी भी कट चुकी है। सस्ते गारमेंट बनते हैं यहां, बड़े नुकसान की आशंका सीलमपुर के एक गारमेंट मैन्युफैक्चरर और एक्सपोर्टर ने बताया, ‘देश के कोने-कोने में जाने वाले सस्ते गारमेंट सीलमपुर, जाफराबाद, मुस्तफाबाद, मौजपुर में बनते हैं और यहां से गांधीनगर, टैंकरोड जैसे ट्रेडिंग सेंटर से होते हुए मुंबई, कोलकाता तक जाते हैं। मंगलवार को हजारों यूनिट्स मजदूर नहीं आने के चलते नहीं खुलीं तो कइयों ने एहतियातन बंद रखा। अगर हिंसा पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो पूरा मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर बंद हो सकता है।’ ड्राई फ्रूट्स की सैकड़ों प्रोसेसिंग और पैकेजिंग यूनिटों वाले करावल नगर में भी हालात तनावपूर्ण होने से इंडस्ट्रियल गतिविधियों पर असर पड़ा है। दिल्ली में अशांति इकॉनमी के लिए खतरा फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के जनरल सेक्रटरी वी के बंसल ने कहा कि दिल्ली सिर्फ सियासी राजधानी नहीं है, यह देश का व्यापारिक वितरण केंद्र है। यहां किसी भी तरह की अशांति न सिर्फ दिल्ली बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने बताया कि पहले ही सीलिंग, प्रदूषण और हाल में कोरोना वायरस को लेकर इंडस्ट्री में उथलपुथल मची रही और अब फिर इस तरह की घटनाओं से सेंटिमेंट काफी नेगेटिव हो गया है। दिल्ली के थोक बाजारों में डील के लिए देशभर से करीब दो लाख होलसेलर और सेमी-होलसेलर यहां रोजाना आते हैं, लेकिन ऐसी घटनाओं से लोग ट्रिप टाल देते हैं।
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