नई दिल्ली पंजाब सरकार ने हाल ही में की उम्र 60 से घटाकर 58 कर दी है। केंद्र सरकार भी इस पर लंबे समय से विचार कर रही है। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ सरकार ने रिटायरमेंट की उम्र 2 साल बढ़ाकर 62 कर दी है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या रिटायरमेंट की उम्र सीमा घटाने से किसी तरह का लाभ मिलता है? भारत में रिटायरमेंट की उम्र सीमा समय-समय पर बढ़ाई जाती रही है। 1962 में रिटायरमेंट की उम्र सीमा 55 से बढ़ाकर 58 कर दी गई थी। 1998 में तत्कालीन सरकार ने इसे बढ़ाकर 60 कर दिया था। 2013 में यूपीए सरकार ने इसे बढ़ाकर 62 करने के बारे में विचार किया, हालांकि वह इसे लागू नहीं कर पाई। अगर रिटायरमेंट की उम्र सीमा बढ़ाई जाती है तो इसका असर सरकारी खजाने पर पड़ता है, क्योंकि वेज बिल में इजाफा होता है। को 2004 में खत्म कर दिया गया था और उसकी जगह न्यू पेंशन सिस्टम (NPS) को लागू किया गया। 2004 के बाद जितने भी नए एंप्लॉयी ज्वाइन किए, उन्हें का लाभ मिलेगा। एनपीएस में सरकार और एंप्लॉयी दोनों की तरफ से कॉन्ट्रिब्यूशन किया जाता है। डेटा से साफ है कि अगर रिटायरमेंट की उम्र सीमा घटाई जाती है तो सरकार को फायदा मिलता है, लेकिन इसका असर युवा एंप्लॉयी पर ज्यादा होता है। मार्च 2018 तक सेंट्रल गवर्नमेंट में सिविलियन एंप्लॉयी की संख्या 31.20 लाख थी, जबकि इनकी कुल संख्या 38.02 लाख होनी चाहिए थी। ऐसे में काम का बोझ युवा एंप्लॉयी पर बढ़ा। शायद ये भी एक वजह है कि भारत में फर्टिलिटी रेट तेजी से गिर रहा है। हालांकि सरकार का खर्च लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में उसके लिए बढ़ता हुआ पेंशन बिल ज्यादा अनुकूल है और वह चाहेगी कि ज्यादा से ज्यादा एंप्लॉयी जल्दी रिटायर हों।
from Latest Business News in Hindi - बिज़नेस खबर, बिज़नेस समाचार, व्यवसाय न्यूज हिंदी में | Navbharat Times http://bit.ly/2VDvBfc