
सचिन दवे/सलोनी शुक्ला, मुंबई सरकार ने में () को अभी के 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने पर विचार शुरू कर दिया है। वह फरवरी 2020 में पेश किए जाने वाले बजट में इसका ऐलान कर सकती है। इस मामले से वाकिफ तीन सूत्रों ने बताया कि सरकार ने इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI को निर्देश दिया है कि वह इस पर बीमा कंपनियों और इस क्षेत्र से जुड़े अन्य पक्षों की राय ले और पता लगाएं कि इसके नफा-नुकसान क्या हैं। पॉलिसी होल्डर के अधिकारों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी इंश्योरेंस रेगुलेटर को जो शुरुआती प्रतिक्रिया मिली है, उसमें बीमा कंपनियों की भारतीय मालिकाना हक से जुड़ी सभी शर्तों को हटाए जाने, विदेशी मालिकाना हक वाली बीमा कंपनियों की सॉल्वेंसी, विदेशी मालिकों पर लॉन्ग टर्म लायबिलिटी कॉन्ट्रैक्ट लागू करने संबंधी चिंता जाहिर की गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि अगर कंपनी पर विदेशी मालिकाना हक होगा तो वैसी स्थिति में पॉलिसी होल्डर के अधिकारों को किस तरह सुरक्षित रखा जाएगा। FDI लिमिट बढ़ाकर लंबे समय तक निवेश लाने की कोशिश इस मामले में बातचीत से जुड़े एक सूत्र ने कहा, 'सरकार बीमा क्षेत्र में FDI लिमिट बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। वह चाहती है कि देश में इसके जरिए लंबे समय का निवेश हो। IRDAI इस पर इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की राय ले रहा है और जल्द ही वह रिपोर्ट सौंप देगा।' उन्होंने यह भी बताया, 'अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले बजट में सरकार इसका ऐलान कर सकती है। वह इसे वित्त विधेयक के रूप में संसद से पास करवा सकती है।' मार्च 2016 में FDI लिमिट 49% की गई थी मार्च 2016 में सरकार ने इंश्योरेंस सेक्टर में ऑटोमैटिक रूट से FDI लिमिट को 26 से बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दिया था। इससे पहले बीमा कंपनियों में 49 प्रतिशत विदेशी निवेश के लिए फॉरेन इन्वेस्टेमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) से मंजूरी लेनी पड़ती थी, जिसे दो साल पहले भंग कर दिया गया था। इस साल जुलाई में पेश बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार इंश्योरेंस सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने को लेकर सभी पक्षों की राय लेगी। हालांकि, इस खबर को लेकर ईमेल से पूछे गए सवालों का वित्त मंत्रालय और IRDAI ने जवाब नहीं दिया। इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश को लेकर कई चुनौती इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश बढ़ाने को लेकर कई बाधाएं हैं। इसके लिए सरकार को इंश्योरेंस कानून में संशोधन करना होगा और उसे इन कंपनियों के भारतीय मालिकाना हक संबंधी सारी शर्तें हटानी होंगी। केंद्र को निवेश सीमा बढ़ाने के बाद विदेशी कंपनियों की सॉल्वेंसी पर करीबी नजर रखनी होगी ताकि ग्लोबल ऑपरेशन्स के प्रभावित होने पर वे भारतीय बिजनस बंद न करें। विदेशी बैंकों के साथ अनुभव बहुत अच्छे नहीं सरकार विदेशी इंश्योरेंस कंपनियों को भागने की इजाजत नहीं दे सकती क्योंकि इंश्योरेंस लंबी अवधि का प्रॉडक्ट है। एक अन्य अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'विदेशी बैंकों के साथ काम का अनुभव औसत रहा है। जब उनके ग्लोबल ऑपरेशंस पर असर हुआ, तब उन्होंने भारत में अपना धंधा बंद कर दिया। इंश्योरेंस लंबी अवधि की देनदारी होती है और सरकार को विदेशी बीमा कंपनियों पर बहुत नियंत्रण नहीं होगा। इसलिए उसे विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने से पहले काफी सोच-विचार करना होगा।'
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