FATF बैठक: पाकिस्‍तान होगा ब्‍लैक लिस्‍ट या ग्रे लिस्‍ट में बना रहेगा, अब होगा फैसला

इस्‍लामाबाद फाइनेंशियल ऐक्शन टाक्स फोर्स (FATF) की तीन दिवसीय वर्चुअल बैठक आज से शुरू होने जा रही है जिसमें 'आंतकिस्‍तान' कहे जाने वाले पाकिस्‍तान के भविष्‍य पर फैसला होगा। पाकिस्‍तान FATF की ओर से दी गई 6 जिम्‍मेदारियों को पूरा करने में असफल रहा है। ऐसे में व‍िशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्‍तान का ग्रे लिस्‍ट में बने रहना तय है। हालांकि आतंकियों को पाल रहे पाकिस्‍तान पर ब्‍लैक लिस्‍ट होने का खतरा भी मंडरा रहा है। पाकिस्‍तान अब तक भारत के मोस्‍ट वांटेड आतंकी मौलाना मसूद अजहर और लश्‍कर-ए-तैयबा के संस्‍थापक हाफिज सईद के खिलाफ ऐक्‍शन लेने में असफल रहा है। यही नहीं उसने अचानक से 4000 लोगों के नाम अपने आधिकारिक आतंकी लिस्‍ट से हटा दिए। 21 से 23 अक्‍टूबर तक चलने वाली इस बैठक में एफएटीएफ समीक्षा करने के बाद पाकिस्‍तान के ग्रे लिस्‍ट में बने पर फैसला करेगी। आतंकियों के नाम गायब करने पर एफएटीएफ ने कड़ी आपत्ति जताई एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को 27 ऐक्‍शन प्‍लान दिए थे जिसमें से उसने अभी तक केवल 21 को ही पूरा किया है। इस ऐक्‍शन प्‍लान में जो महत्‍वपूर्ण विषय हैं, उस पर पाकिस्‍तान ने अभी तक कोई ऐक्‍शन नहीं लिया है। आतंकियों के नाम गायब करने पर एफएटीएफ ने कड़ी आपत्ति जताई है। इससे पहले अपने आका चीन की मदद से FATF की ग्रे लिस्‍ट बच निकलने के पाकिस्‍तानी सपने को बड़ा झटका लगा था। FATF की क्षेत्रीय इकाई एशिया पैसिफिक ग्रुप ने टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगा पाने में नाकाम रहने पर पाकिस्तान को 'Enhanced Follow-Up' में बरकरार रखा था। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक एपीजी ने पाया कि टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को खत्‍म करने के लिए FATF की ओर से दिए तकनीकी सुझावों को लागू करने में पाकिस्‍तान ने बहुत कम प्रगति की है। एपीजी की ओर से पाकिस्‍तान के मूल्‍यांकन की पहली फॉलो अप रिपोर्ट को जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्‍तान ने FATF की ओर से की गई 40 सिफारिशों में से केवल दो पर प्रगति की है। रिपोर्ट के बाद अब पाकिस्‍तान का ग्रे लिस्‍ट में बना रहना निश्चित विशेषज्ञों का कहना है कि इस ताजा रिपोर्ट के बाद अब पाकिस्‍तान का ग्रे लिस्‍ट में बना रहना निश्चित हो गया है और उस पर ब्‍लैक लिस्‍ट होने का खतरा मंडरा रहा है। इससे पहले कोरोना महासंकट के बीच पाकिस्‍तान ने खुद को FATF की ग्रे सूची से हटाए जाने के लिए बड़ा दांव चला था। पाकिस्‍तान ने पिछले 18 महीने में निगरानी सूची से हजारों आतंकवादियों के नाम को हटा दिया था। अमेरिकी अखबार वॉल स्‍ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्‍तान की नैशनल काउंटर टेररिज्‍म अथार्टी इस लिस्‍ट को देखती है। इसका उद्देश्‍य ऐसे लोगों के साथ वित्‍तीय संस्‍थानों के बिजनस न करने में मदद करना है। इस लिस्‍ट में वर्ष 2018 में कुल 7600 नाम थे लेकिन पिछले 18 महीने में इसकी संख्‍या को घटाकर अब 3800 कर दिया गया है। यही नहीं इस साल मार्च महीने की शुरुआत से लेकर अब तक 1800 नामों को लिस्‍ट से हटाया गया है। एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को 27 बिंदुओं पर ऐक्‍शन लेने के लिए जून तक का वक्‍त दिया है। अगर पाकिस्‍तान 27 बिंदुओं को पूरा करने में असफल रहता है तो एफएटीएफ उसे काली सूची में डाल सकता है। जैश-लश्कर को करने दिया ऑपरेट अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट की 'कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म' में साल 2019 में पाकिस्तान की भूमिका पर खरी-खरी कही गई है। इसमें कहा गया है कि भारत को निशाना बना रहे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को पाकिस्तान ने अपनी जमीन से ऑपरेट करने दिया। पाकिस्तान ने जैश के संस्थापक और संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित किए जा चुके मसूद अजहर और 2008 के मुंबई धमाकों के 'प्रॉजेक्ट मैनेजर' साजिद मीर जैसे किसी आतंकी के खिलाफ ऐक्शन नहीं लिया। ये दोनों कथित रूप से पाकिस्तान में आजाद घूम रहे हैं।


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