प्रमुख संवाददाता, गुरुग्राम लॉकडाउन में जिन्होंने EMI नहीं चुकाने का विकल्प चुना था, उनकी किस्त पर लगने वाला ब्याज तो हो सकता है सरकार चुका दे लेकिन ऐसे भी काफी लोग हैं, जो नौकरी जाने या सैलरी कम होने के चलते अपनी ईएमआई नहीं चुका पा रहे। ऐसे लोगों के सामने नई मुसीबत खड़ी हो गई है। रिकवरी एजेंसियों का स्टाफ उनके मोबाइल पर लगातार कॉल कर वसूली के लिए दबाव बना रहा है। वॉट्सऐप कॉल की जा रही हैं। अगर वहां भी पीड़ित बात न करे तो उन्हें बदतमीजी वाले मेसेज भेजे जा रहे हैं। बैंकों पर इस तरह का आरोप कई लोगों ने लगाया है। उनका कहना है कि उनके रिश्तेदारों को कॉल करने की धमकी की जा रही हैं। 31 अगस्त तक मोराटोरियम की सुविधा आरबीआई ने इस साल 1 मार्च से 31 अगस्त के बीच EMI चुकाने पर राहत दी थी। अगर पैसों की किल्लत के कारण कोई EMI नहीं चुका पा रहा है तो उसका लोन डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा। मोरेटोरियम के 6 महीनों में EMI पर लगने वाला ब्याज लोगों को नहीं देना होगा, लेकिन इन दिनों में भी कई बैंक ब्याज पर ब्याज वसूलने में लगे रहे। ऑफिस या घर आकर वसूली की धमकी दी गई एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करने वाले शख्स ने बताया कि उन्होंने मार्च से पहले क्रेडिट कार्ड का यूज किया था। लॉकडाउन के चलते वह पेमेंट नहीं कर सके। बैंक उनके कार्ड पर चार्ज लगाता रहा। सितंबर में बैक के चार्ज लगने के बाद करीब 32 हजार 700 रुपये से अधिक का भुगतान करना था। एक महिलाकर्मी ने खुद को बैंक कर्मी बताते हुए पेमेंट करने का दबाव बनाया। कॉल पिक नहीं करने पर लगातार वॉट्सऐप व फोन कॉल किए गए। मेसेज कर ऑफिस व घर आकर पूरी वसूली करने की धमकी दी गई। भुगतान करने के कुछ मिनटों बाद तक कर्मचारी मेसेज करती रही। इतना ही नहीं ससुराल में कॉल करने धमकी तक दे डाली। बहन को फोन कर बोला कि वह अपने भाई से पेमेंट करवाए एक शख्स ने इमरजेंसी में पर्सनल लोन लिया था। कुछ महीने से किस्त नहीं जा सकी। शख्स ने रिकवरी एजेंट से बोला कि लॉकडाउन के कारण वह फिलहाल लोन नहीं भर पाएंगे। लेकिन वह जल्द से जल्द दे देंगे। इसके बाद भी लगातार कॉल आ रहे हैं। कॉल पिक नहीं करने पर रेफरेंस में लिखवाए गए बहन के नंबर पर कॉल कर दिया गया। उन्हें बोला गया कि अपने भाई को कहें कि वह फोन पिक करे और लोन का पेमेंट करें। सैलरी हो गई कम नहीं दे पा रहा होम लोन की किस्त एक प्राइवेट कंपनी में काम करने बाले शख्स ने बताया कि कोरोना काल में कंपनी की ओर से प्रतिमाह करीब 70 प्रतिशत वेतन का भुगतान किया जा रहा है। हालांकि कंपनी की ओर भरोसा दिया गया है कि परिस्थितियां सामान्य होने पर बकाया वेतन का भुगतान कर दिया जाएगा। वेतन कम होने पर मकान बनाने के लिए गए कर्ज की नियमित किस्त अदायगी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में कर्ज पर ब्याज बढ़ने का खतरा सता रहा है। आ रहे हैं तनाव में आर्थिक संकट से जूझ रहे लोग अब तनाव में भी आने लगे हैं। ऐसे में रिकवरी एजेंट्स काफी लोगों को धमकियां दे रहे हैं कि अगर जल्दी से जल्दी लोन का भुगतान नहीं किया गया तो उनके घर व ऑफिस आएंगे। यहां तक बोल रहे हैं कि जब बेइज्जती होगी तब भुगतान करोगे। ऐसे में साथियों व पड़ोसियों के सामने कलेक्शन एजेंटों के आने की आशंका के चलते लोग मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं। इनका रखें ख्याल - कस्टमर से बदसलूकी नहीं कर सकते बैंक रिकवरी एजेंट - लोन की एक-दो ईएमआई देने में असमर्थ होने पर क्रिमनल बैक ग्राउंड नहीं होता - एजेंट बदसलूकी करे तो उस बैंक के कप्लेंट सेल में शिकायत करें -उस बैंक के मैनेजर से मिलकर अपनी किस्त आगे बढ़वा सकते हैं -फिर भी कार्रवाई न हो तो पुलिस या कोर्ट की मदद ली जा सकती है - रिकवरी एजेंट से बात करते समय टैंपर लूज न करें - लोन लेने के दौरान हस्ताक्षर करने से पहले कागजों को ध्यान से पढ़े
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