
नई दिल्ली के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत का कहना है कि पानी की खपत को कम करने के लिए धान की खेती की जगह बाजरे (Millets) की खेती की ओर कदम बढ़ाने की जरूरत है। कांत ने यह भी कहा कि बाजरा पोषक तत्वों और सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होता है, विशेष रूप से प्रोटीन और कैल्शियम इसमें प्रचुर रूप से होता है, और उन्हें महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षा कवच योजनाओं में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'बाजरा के प्रचार के बारे में राज्यों के साथ सकारात्मक बातचीत हुई है। बाजरा विशेष रूप से प्रोटीन और कैल्शियम के अलावा सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर और समृद्ध होते हैं।' कांत नेशनल कंसल्टेशन ऑन प्रमोशन ऑफ मिलेट्स पर हुई वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस बैठक में राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए और देश में पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने की योजनाओं में बाजरे को शामिल करने के संभावित तरीकों पर चर्चा की। बाजरे की खूबीबाजरा खरीफ के टाइम उगाई जाने वाली फसल है। बाजरे को मोटे दाने वाली फसलों में गिना जाता है। भारत में इसकी खेती राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में सबसे ज्यादा की जाती है। इनके अलावा और भी कई राज्यों में बाजरे की खेती की जा रही है। बाजरे की खेती में मेहनत कम लगती है और लागत भी नहीं के बराबर आती है। इससे किसानों को अच्छी बचत मिल जाती है। कहां होती है बाजरे की खेतीबाजरे की खेती शुष्क प्रदेशों में की जाती है। इसकी खेती को ज्यादा पानी की जरूरत भी नही होती। बाजरे की फसल वर्षा पर ज्यादा निर्भर करती है। बाजरे की खेती उस जगह भी आसानी से हो जाती है जहाँ मिट्टी में अम्लीय गुण ज्यादा होता है। बाजरे की खेती के लिए रेतीली बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। लेकिन आज बाजरे की खेती लगभग सभी तरह की मिटटी में की जा रही हैं।
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