नई दिल्ली तमाम कोशिशों के बाद बचाने में नाकामयाब रहने के कारण सरकार ने एयर इंडिया के विनिवेश का फैसला किया था और अब वह वक्त नजदीक आ गया है। महाराजा के लिए बोली मंगाई गई है और बोली जमा करने की आखिरी तारीख 17 मार्च है। अश्विनी लोहानी वर्तमान में एयर इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर (CMD) हैं। फरवरी 2019 में उन्हें इस मकसद से एयर इंडिया में वापस लाया गया था कि वह डूब रही एयर इंडिया का बेड़ा पार लगाएंगे, लेकिन वह असफल रहे। एयर इंडिया को मुनाफे में लाया सीएमडी बनाए जाने से पहले अश्विनी लोहानी अगस्त 2017 से सितंबर 2017 के बीच एयर इंडिया के प्रमुख बनाए गए। 2007 के बाद वित्त वर्ष 2017 में पहली बार उनके नेतृत्व में एयरलाइन 105 करोड़ रुपये फायदे में रही। जानकारी के लिए बता दें कि 2007 में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का मर्जर किया गया था। उसके बाद से महाराजा लगातार घाटे में चल रही थी। 76 पर्सेंट स्टेक बेचने की कोशिश नाकाम हुई थी सितंबर 2017 में उन्हें एयर इंडिया से ट्रांसफर कर दिया गया और रेलवे बोर्ड का चेयरमैन बना दिया गया। दिसंबर 2018 में वे रिटायर हो गए। 2018 में ही एयर इंडिया में 76 पर्सेंट स्टेक बेचने की कोशिश हुई, लेकिन यह सफल नहीं हो सका। ऐसे में उन्हें इस मकसद से एयर इंडिया का सीएमडी बनाया गया कि वह महाराजा का कायाकल्प कर देंगे। इस साल 8556 करोड़ का शुद्ध घाटा एयर इंडिया पर करीब 80 हजार करोड़ का कर्ज है। वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया को 8,556 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। 7 जनवरी को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने एक मंत्री समूह (ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स) ने निजीकरण से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 पर्सेंट शेयर सरकार के पास ही हैं।
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