अयान प्रमाणिक, बेंगलुरु एंप्लॉयी स्टॉक ऑप्शन प्लांस के आकर्षण और स्टार्टअप टीम जॉइन करने के रोमांच में फंसे हजारों सॉफ्टवेयर प्रफेशनल अब स्थापित कंपनियों की तरफ रुख करने लगे हैं। 2014 से शुरू हुए बूम इयर्स में जॉइन करने के लिए बड़ी तादाद में मिड करियर प्रफेशनल्स विप्रो, केप जेमिनाई और इन्फोसिस जैसी बड़ी टेक्नॉलजी कंपनियों से अलग हुए थे। इनका हौसला तब टूटने लगा, जब स्टार्टअप्स उम्मीदों की उड़ान भरने में नाकाम होने लगीं, अनुमानित रिटर्न के फल से महरूम होने लगीं और स्टार्टअप्स में होने वाले काम का दबाव उन पर असर दिखाने लगा। टाटा ने भी स्टार्टअप्स को चेताया मशहूर उद्योगपति रतन टाटा ने भी हाल ही में स्टार्टअप्स को लेकर तीखे बयान दिए हैं। उन्होंने कहा कि निवेशक के पैसों को धुएं में उड़ाने वाले स्टार्टअप को दूसरा या तीसरा मौका नहीं मिलेगा। टाटा ने खुद कई स्टार्टअप कंपनियों में निवेश किया है। स्टार्टअप्स को लेकर उनका कहना है कि ये नई कंपनियां पुरानी कंपनियों की जगह लेंगी और नए लोग भारतीय उद्योग जगत के भविष्य को तय करेंगे। डिमांड में तेजी से हो रहा है बदलाव रियल एस्टेट इंडस्ट्री के लिए प्रॉडक्ट्स बना रही स्टार्टअप जॉइन करने के लिए 2018 में एक बड़ी आईटी कंपनी छोड़नेवाले 39 साल के सॉफ्टवेयर इंजिनियर अक्षय जैन ने कहा, 'स्टार्टअप जो प्रॉडक्ट बना रही थी, उसकी डिमांड बदल रही थी और वह वर्क-इन-प्रोग्रेस बनकर रह गया।' प्रॉडक्ट लॉन्चिंग में देरी और उसकी पक्की टाइमलाइन नजर नहीं आने पर उन्होंने पिछले साल स्टार्टअप को अलविदा कह दिया और एक MNC की कैप्टिव यूनिट में आ गए। बहुत से प्रफेशनल्स की कहानी जैन के जैसी ही है। स्टॉक ऑप्शंस के कारण प्रफेशनल्स ज्यादा अट्रैक्ट हुए नैस्कॉम और रिसर्चर जिनोव की नवंबर की स्टडी के मुताबिक पिछले पांच साल में 8,900-9,300 टेक स्टार्टअप्स बनीं। कई स्टार्टअप्स ने दिग्गज फाइनैंस, बैंकिंग और रीटेल कंपनियों में सॉफ्टवेयर प्रॉडक्ट्स बनाने वाले और कॉम्प्लेक्स आईटी सिस्टम्स मैनेज करने वाले इंजिनियर्स हायर किए थे। स्टाफिंग एजेंसियों का मानना है कि इन प्रफेशनल्स ने मोटी सैलरी और स्टॉक ऑप्शंस की वैल्यू में कई गुना की बढ़ोतरी की उम्मीद पर उनका दामन थामा था। गौरतलब है कि 2014 से 2019 के बीच नए जमाने की स्टार्टअप्स में रिकॉर्ड पर वेंचर और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट आया था। स्किल्स की दोनों जगह डिमांड टेक स्टार्टअप्स में जिन स्किल की बड़ी डिमांड थी, उनमें कोडिंग, बिग डेटा एनालिटिक्स और डेटा साइंस, मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स शामिल थे। एनालिस्टों के मुताबिक बड़ी आईटी कंपनियों में भी इन स्किल्स की बड़ी डिमांड है। स्टाफिंग प्रफेशनल्स के मुताबिक टैलेंट्स के रिवर्स फ्लो की वजह यह नहीं है उनकी चमक खो गई है। उनके हिसाब से यह टेंपररी ट्रेंड है। फेल हो रहे हैं स्टार्टअप्स टीमलीज की को-फाउंडर ऋतुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा, 'ऐसा नहीं है कि टेक स्टार्टअप कूल नहीं रह गई हैं। यह तो प्रॉफिटेबिलिटी और ग्रोथ पर फोकस है जिसके चलते उनमें अनिश्चितता आई है। स्टार्टअप के धराशायी होने की मामले भी बढ़ रहे हैं।'
from Latest Business News in Hindi - बिज़नेस खबर, बिज़नेस समाचार, व्यवसाय न्यूज हिंदी में | Navbharat Times http://bit.ly/3aRGQpG