मुंबई अर्थव्यवस्था में लंबे समय से बरकरार भारी सुस्ती के बीच भारतीय रिजर्व बैंक () ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि अगले नौ महीने में बैंकों के फंसे कर्ज () में और वृद्धि हो सकती है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इसका कारण अर्थव्यवस्था में सुस्ती, लोन का भुगतान करने में नाकामी तथा क्रेडिट ग्रोथ में कमी है। साल में दो बार जून तथा दिसंबर में प्रकाशित होने वाले आरबीआई के फाइनैंशल स्टैबिलिटी रिपोर्ट (FSR) में मध्यम रेटिंग वाली कंपनियों द्वारा रेटिंग शॉपिंग (पसंद की रेटिंग पाने के लिए मनचाही एजेंसियों की सेवा लेना) के प्रति भी ध्यान दिलाया है। बड़ी कंपनियों के पास भरपूर नकदी आरबीआई ने कहा है कि बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों के पास फिलहाल नकदी की कोई कमी नहीं है, जिसके कारण उन्हें लोन की कोई जरूरत नहीं है, जो मौजूदा स्थिति में क्रेडिट ग्रोथ की रेट में कमी का एक बड़ा कारण है। रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2019 तक सरकारी बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ घटकर 8.7% पर रही, जबकि प्राइवेट बैंकों के लिए यह आंकड़ा 16.5% रहा था। पढ़ें : CAR में उल्लेखनीय बढ़ोतरी आरबीआई ने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार द्वारा सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के बाद बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात सितंबर 2019 में उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 15.1% पर पहुंच गया है। प्रोविजन कवरिंग रेशियो (PCR) भी बढ़कर 61.5% पर पहुंच गया है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 60.5% था। 9.9% पर पहुंच जाएगा सकल आरबीआई ने कहा, 'मूलतः वृहद आर्थिक परिदृश्य, लोन के पेमेंट में नाकामी तथा क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट की वजह से बैंकों का ग्रॉस एनपीए (GNPA) अनुपात सितंबर 2019 के 9.3% से बढ़कर सितंबर 2020 में 9.9% पर पहुंच जाएगा।' पढ़ें : 13.2% पर पहुंचेगा PSB का फंसा कर्ज रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी बैंकों का कुल फंसा कर्ज सितंबर 2019 के 12.7% से बढ़कर सितंबर 2020 में 13.2% पर पहुंच जाएगा। वहीं, प्राइवेट बैंकों के लिए यह आंकड़ा 3.9% से बढ़कर 4.2% पर पहुंच जाएगा। वहीं, दूसरी तरफ विदेशी बैंकों के लिए यह आंकड़ा 2.9% से बढ़कर 3.1% पर पहुंच जाएगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि प्रोविजनिंग बढ़ने के कारण भारतीय बैंकों का शुद्ध एनपीए (NNPA) सितंबर 2019 में घटकर 3.7% पर पहुंच गया।
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