मतीन हफीज, मुंबई घोटाला () के कारण लाखों जमाकर्ता रातोंरात डूब गए। यह घोटाला करीब 6500 करोड़ रुपये का है और इसके कई आरोपी फिलहाल जेल में बंद हैं। तीन महीने की जांच के बाद टाइम्स ऑफ इंडिया को मिली विशेष जानकारी के मुताबिक, इस मामले में व्हिसलब्लोअर एक अंदर का ही शख्स था। 32 हजार पन्नों की चार्जशीट में मुंबई पुलिस ने पहली बार व्हिसलब्लोअर शब्द का इस्तेमाल किया है। पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा मामले में आज चार्जशीट दाखिल करेगी। डायरेक्टर्स के नाम चार्जशीट में चार्जशीट में HDIL कंपनी के डायरेक्टर्स राकेश वधावन और उनके बेटे सारंग, PMC के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर जॉय थॉमस, बैंक के पूर्व चेयरमैन वरयम सिंह और बैंक के पूर्व डायरेक्टर सुरजीत सिंह अरोड़ा को घोटाले में आरोपी बनाया गया है। बैंक के अधिकारियों को ही पहले इसके बारे में पता चला TOI की रिपोर्ट के मुताबिक व्हिसल ब्लोअर पीएमसी बैंक में ही काम करते हैं। जब उनको HDIL के छिपे अकाउंट्स के बारे पता चला तो उन्होंने बैंक के सीनियर अधिकारियों से बात की। उन्होंने कहा कि अगर इसकी जानकारी को नहीं दी गई तो वह खुदकुशी कर लेंगे। इस बात से बैंक के कुछ अधिकारियों के साथ उनकी तीखी बहस भी हो गई और आखिरी में इस घोटाले से पर्दा उठ गया। बैंक से लोन लेकर निजी संपत्ति खरीदी पुलिस के मुताबिक 2017 से ही बैंक के कुछ अधिकारियों को HDIL के छिपे अकाउंट की जानकारी थी, लेकिन कोई कुछ नहीं बोल रहा था। HDIL ने बैंक के अधिकारियों के साथ साठगांठ कर रखी थी। इसी की वजह से ग्रुप की कंपनियों को आसानी से लोन मिल रहा था। बैंक से जो लोन मिल रहा था उसका निजी इस्तेमाल किया जा रहा था। आरोपियों ने बैंक से मिले लोन का इस्तेमाल देश और विदेश में प्रॉपर्टी खरीदने में किया।
from Latest Business News in Hindi - बिज़नेस खबर, बिज़नेस समाचार, व्यवसाय न्यूज हिंदी में | Navbharat Times http://bit.ly/2ZqmRsM