राउंडअप 2019: इस साल आर्थिक जगत में लिए गए 10 बड़े फैसले जिनका हुआ व्यापक असर

नई दिल्ली यह साल आखिरी दौर में है और हर कोई 2020 के स्वागत की तैयारी में है। 2019 में सरकार के सामने कमजोर विकास दर, बढ़ती बेरोजगारी, विदेशी निवेशकों में बेरुखी, मांग में कटौती और बैंक के सामने लिक्विडिटी की समस्या बड़ी चुनौतियों में एक रही। सरकार की तरफ से आर्थिक सुस्ती को दूर करने की तमाम कोशिशें भी की गईं। आइए 2019 में सरकार द्वार लिए गए बड़े नीतिगत फैसले के बारे में जानते हैं। 1. कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सितंबर के महीने में कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का ऐलान किया। नई घरेलू कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स 22 प्रतिशत और नई घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए 15 प्रतिशत कर दिया। सेस और सरचार्ज के साथ 22 प्रतिशत की दर असल में 25.17 प्रतिशत और 15 प्रतिशत की दर 17 प्रतिशत से कुछ अधिक हो गई है। पहले कॉर्पोरेट टैक्स 30 फीसदी था। इस कदम से सरकार ने अपनी 1.45 लाख करोड़ रुपये की आमदनी की कुर्बानी दी है और यह पैसा अब कंपनियों की बैलेंस शीट में जुड़ जाएगा। 2. बैंकों में पैसे डाले गए अगस्त महीने में सरकार ने कैश फ्लो बढ़ाने के लिए 70,000 करोड़ रुपये जारी करने का ऐलान किया था। सरकार की ओर से दिए गए 70,000 करोड़ रुपये के पैकेज से वित्तीय व्यवस्था में 5 लाख करोड़ रुपये का कैश फ्लो होगा। 3. FPI पर एक्स्ट्रा सरचार्ज वापस अगस्त में ही निर्मला सीतारण ने निवेश को बढ़ाने के लिए लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स सरचार्ज को वापस लेने की घोषणा की थी। विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी FPI पर भी अतिरिक्त सरचार्ज को वापस लिया गया। बजट में सरचार्ज की घोषणा के बाद निवेशक भागने लगे थे। निवेशकों में उत्साह भरने और निवेश को वापस लाने के लिए सरकार को सरचार्ज वापस लेना पड़ा। अब सरचार्ज 15 फीसदी ही है। 4. बैंकों का मर्जर किया गया अगस्त के महीने में ही सरकार ने 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर 4 बैंक करने का ऐलान किया। पंजाब नैशनल बैंक में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय किया गया जिसके बाद यह देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक बना जिसका कारोबार करीब 18 लाख करोड़ रुपये का है। 5. अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर का फायदा उठाने के लिए सरकार ने विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए FDI के नियम आसान किए हैं। मोदी सरकार ने अगस्त के महीने में सिंगल ब्रैंड रीटेल, डिजिटल मीडिया, कोल फील्ड और कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग में ऑटोमैटिक रूट से 100 फीसदी FDI को मंजूरी दी थी। 6. BPCL के निजीकरण का फैसला अक्टूबर महीने में सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (BPCL), BEML, कन्टेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकोर) और शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SCI) में स्ट्रैटिजिक सेल को मंजूरी दी। सरकार को BPCL में स्टेक सेल से 65,000 करोड़ रुपये तक मिलने की उम्मीद है। इसमें सरकार का हिस्सा 53.3% था। 7. हाउसिंग सेक्टर के लिए 25000 करोड़ का फंड संकट से जूझ रहे रियल एस्टेट सेक्टर के लिए केंद्र सरकार ने 25 हजार करोड़ रुपये का स्पेशल फंड बनाया। इस फंड से एक प्रॉजेक्ट को अधिकतम 400 करोड़ रुपये ही मिल सकते हैं। 8. होम लोन पर ज्यादा टैक्स बेनिफिट्स इस बजट में सरकार ने दो घरों को सेल्फ ऑक्यूपाइड माना और इसे टैक्स के दायरे से बाहर रखा। जुलाई 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए टैक्स में 1.5 लाख अलग से छूट का ऐलान किया था। 2 लाख रुपये की छूट पहले से है। इस तरह कुल छूट 3.5 लाख रुपये की हो गई। 9. 5 लाख तक इनकम पर टैक्स नहीं जुलाई में बजट पेश करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि वह अंतरिम बजट के प्रावधान को जारी रख रही हैं और 5 लाख तक की इनकम पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगेगा। हालांकि टैक्स स्लैब में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया था। इसके अलावा बजट में यह भी घोषणा की गई थी कि पैन नहीं होने पर आधार की मदद से भी रिटर्न फाइल किया जा सकता है। 10. किसानों को हर साल 6000 रुपये किसानों के लिए इस साल किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत हुई। इस योजना के तहत किसानों को एक साल में तीन किस्तों में 6000 रुपये मिलेंगे। इसके अलावा श्रमिकों और व्यापारियों के लिए 60 साल की उम्र के बाद 3000 रुपये मंथली पेंशन की भी बात कही गई। श्रम योगी मानधन और लघु व्यापारिक मानधन योजना को इसी साल लॉन्च किया गया है।


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