रिजर्व बैंक ने डीएचएफएल के बोर्ड की शक्तियां अपने हाथों में लीं

मुंबई से जुड़ी अनियमितताओं और वित्तीय देनदारियों को पूरा करने में नाकाम रहने के कारण मुसीबतों में फंसी होम लोन कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनैंस लिमिटेड (डीएचएफल) के बोर्ड की शक्तियां ने अपने हाथ में ले ली हैं। रिजर्व बैंक ने फॉर्मर बैंकर आर को डीएचएफएल का प्रशासक नियुक्त किया है। सुब्रह्मण्य कुमार इंडियन ओवरसीज बैंक के एमडी और सीईओ रह चुके हैं। ने एक बयान में कहा, 'वह रिजर्व बैंक इनसॉल्वंसी ऐंड बैंकरप्ट्सी रूल्स 2019 के तहत कंपनी का जल्द शुरू करने का इरादा भी रखता है और वह ऐडमिनिस्ट्रेटर को इन्सॉल्वंसी रेजॉलुशन प्रफेशनल के तौर पर नियुक्त करने के लिए एनसीएलटी को आवेदन देगा।' कंपनी मामलों के मंत्रालय ने आरबीआई को 500 करोड़ रुपये से ज्यादा ऐसेट साइज वाली नॉन बैंकिंग फाइनैंस कंपनियों के खिलाफ इन्सॉल्वंसी प्रोसीडिंग्स शुरू करने की इजाजत दी है। इनके मामलों में रेजॉलुशन के लिए ऐप्लिकेशन फाइल किए जाने से लेकर उसे स्वीकार किए जाने तक के लिए अंतरिम मोराटोरियम लागू होगा। सुब्रह्मण्य कुमार के पास इनसॉल्वंसी प्रफेशनल्स जैसे ही पावर होंगे। कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स को कंपनी का केस स्वीकार किए जाने के बाद सौंपे जाने वाले रेजॉलुशन प्लान को मंजूरी देना होगा। एनबीएफसी की कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स में बैंक के एक्जिक्युटिव से लेकर डिबेंचर होल्डर, ईसीबी होल्डर भी शामिल हो सकते हैं। स्ट्रेस्ड ऐसेट्स के रेजॉलुशन के लिए बनाए गए आरबीआई के नॉर्म्स के तहत रेजॉलुशन प्लान की अपनी अलग चुनौतियां हैं। डीएचएफएल के क्रेडिटर्स कई तरह के हैं जो कई रेग्युलेटरी अथॉरिटी से गवर्न होते हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियां रेजॉलुशन पर राजी नहीं थे, इसलिए इंटर क्रेडिटर अग्रीमेंट को अमल में लाए जाने पर रोक लगी हुई थी। बैंक के एक एग्जिक्युटिव ने कहा, 'डीएचएफएल के बोर्ड को आरबीआई की तरफ से सुपरसीड किए जाने से उसका डेट रेजॉलुशन समयबद्ध तरीके से तेजी से हो सकेगा और कंपनी के ऐसेट्स जब्त हो से बचे रहेंगे।' आईबीसी के तहत कंपनी का डेट रेजॉलुशन केस स्वीकार किए जाने के 45 दिन के भीतर तीन या ज्यादा विशेषज्ञों की सलाहकार समिति बनाई जाएगी। डीएचएफएल पर कुल 85 हजार करोड़ रुपये की देनदारी है, जिसमें बैंकों का 38 हजार करोड़ रुपये का एक्सपोजर है। रेजॉलुशन प्रोसेस पर नजर रखनेवाली कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स (Coc) के पास प्लान तैयार करने के लिए 180 दिन का समय होगा। अगर CoC इस समयसीमा के भीतर कोई प्लान बनाने में नाकामयाब रहता है तो लेंडर्स को इसके लिए 20% की अतिरिक्त प्रविजनिंग करनी पड़ेगी। अगर मामला 365 दिन तक भी नहीं निपटता है तो प्रविजनिंग का लेवल बढ़कर 35% तक पहुंच जाएगा।


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