ईटी ब्यूरो, बेंगलुरु आईटी कंपनी के शीर्ष अधिकारियों पर व्हिसल ब्लोअर्स ने गलत अकाउंटिंग के जो आरोप लगाए थे, कंपनी को पहली नजर में उन्हें सही ठहराए जाने के सबूत नहीं मिले हैं। कंपनी ने सोमवार को यह बात कही। इंफोसिस ने इस मामले की स्वतंत्र जांच की जिम्मेदारी एक बड़ी लॉ फर्म को भी सौंपी है, जिसकी रिपोर्ट का वह इंतजार कर रही है। अब तक की जांच में हेराफेरी के सबूत नहीं आईटी कंपनी ने बताया कि स्वतंत्र एजेंसी को जांच सौंपने से पहले इंफोसिस की ऑडिट कमिटी ने कंपनी के इंडिपेंडेंट इंटरनल ऑडिटर अर्न्स्ट ऐंड यंग के साथ चर्चा शुरू कर दी थी। इंफोसिस ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को सोमवार सुबह बताया, 'अभी तक गड़बड़ी के प्रथम दृष्टया सबूत नहीं मिले हैं। शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ अज्ञात शिकायत की अभी भी जांच चल रही है। कंपनी उन आरोपों की सचाई और आरोप लगाने वालों की विश्वसनीयता पर कुछ भी कहने में असमर्थ है।' उछाल के साथ इंफोसिस के शेयर बंद इस खबर के बाद इंफोसिस का शेयर सोमवार को इंट्राडे में 6 प्रतिशत तक चढ़ गया था, लेकिन आखिर में यह 3.2 प्रतिशत की उछाल के साथ 710.10 रुपये पर बंद हुआ। कंपनी के शीर्ष अधिकारियों पर व्हिसल ब्लोअर की कंप्लेन की खबर आने के बाद 22 अक्टूबर को इसके शेयर 16 प्रतिशत से अधिक टूटकर 643.55 रुपये पर बंद हुए थे। मुनाफा बढ़ाकर दिखाने का आरोप इंफोसिस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और यूएस सिक्यॉरिटीज एक्सचेंज कमीशन (SEC) को व्हिसल ब्लोअर्स की तरफ से ईमेल भेजे जाने की खबर सबसे पहले इकनॉमिक टाइम्स ने दी थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि कंपनी के सीईओ सलिल पारेख और CFO नीलांजन रॉय आमदनी और मुनाफे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए अग्रेसिव अकाउंटिंग टैक्टिक्स का इस्तेमाल कर रहे हैं और वे ऑडिटरों को भी गुमराह कर रहे हैं। इसके बाद कंपनी ने बताया था कि SEC इन आरोपों की जांच कर रहा है और सेबी ने भी इन आरोपों के मद्देनजर उससे जानकारी मांगी है। व्हिसल ब्लोअर्स ने शिकायत के साथ ईमेल भेजा इकनॉमिक टाइम्स को भेजी गई चिट्ठी के मुताबिक, ऐसा लगता है कि व्हिसल ब्लोअर्स ने अपनी शिकायत को सही साबित करने के लिए SEC के साथ ईमेल और कॉल रिकॉर्डिंग्स भेजी हैं। हालांकि इंफोसिस के बोर्ड को उन्होंने जो लेटर लिखा था, उसमें इसकी जानकारी नहीं दी गई थी। व्हिसल ब्लोअर्स की शिकायत के बाद बोर्ड ने 11 अक्टूबर की मीटिंग में इस मुद्दे पर चर्चा की थी। कंपनी ने सोमवार को NSE को भेजे स्टेटमेंट में बताया कि व्हिसल ब्लोअर्स की शिकायत को देखते हुए उसने इंडिपेंडेंट इंटरनल ऑडिटर्स को कुछ प्रक्रिया की समीक्षा करने को कहा है। 21 अक्टूबर को इंफोसिस ने लॉ फर्म शार्दूल अमरचंद मंगलदास और ईवाई को आरोपों की सचाई पता लगाने का जिम्मा सौंपा था। हालांकि ईवाई को यह काम इससे पिछले वाले सप्ताह में ही सौंप दिया गया था। सितंबर क्वार्टर के रिजल्ट से जुड़ा है मामला मार्केट ऐनालिस्टों ने कहा कि व्हिसल ब्लोअर्स ने जो आरोप लगाए हैं, कंपनी के सितंबर क्वॉर्टर के रिजल्ट को देखने पर उनमें दम नजर नहीं आता। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के ऐनालिस्ट कवलजीत सलूजा ने कहा, 'खर्च और आमदनी गलत दिखाने का जो आरोप लगा है, वह कंपनी के स्ट्रॉन्ग फ्री कैश फ्लो और वर्किंग कैपिटल साइकिल को देखकर सही नहीं लगता।' उन्होंने कहा कि अभी कंपनी के शेयरों में निवेश करने से फायदा हो सकता है।
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