नई दिल्ली सार्वजनिक क्षेत्र की BSNL ने सोमवार को जानकारी दी थी कि नकदी के संकट के चलते उसके पास कर्मचारियों की जून की सैलरी देने के लिए पैसे नहीं हैं। बता दें कि जून की सैलरी देन के लिए को लगभग 850 करोड़ रुपये की जरूरत है। बीएसएनएल पर अभी करीब 13 हजार करोड़ रुपये की आउटस्टैंडिंग लायबिलिटी है जिसके चलते कंपनी का बिजनस ठीक तरह से नहीं चल रहा है। हो सकता है कि बीएसएनएल को एक टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर की जगह कोई नई भूमिका निभानी पड़े। इसके ऐसेट्स की वैल्यू देखते हुए कहा जा सकता है कि हो सकता है कि यह एक टेलिकॉम इन्फ्रा प्रोवाइडर के तौर पर बेहतर काम करे। बीएसएनएल की लैंड होल्डिंग्स दस्तावेजों के मुताबिक, बीएसएनएल के पास 15,000 से ज्यादा इमरातों और जमीनों का मालिकाना हक है जो 11,000 एकड़ से ज्यादा में फैली हुई है। बीएसएनएल की एक तिहाई प्राइम लैंड होल्डिंग्स की वैल्यू 65,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है जबकि कंपनी की बैलेंस सीट पर इसकी वैल्यू (बुक वैल्यू) पर यह सिर्फ 975 करोड़ रुपये ही लिस्टेड है। अगर सिर्फ दिल्ली के जनपथ स्थित कंपनी के हेडक्वार्टर की कीमत का आंकलन किया जाए तो सिर्फ इसकी वैल्यू ही 2,500 करोड़ रुपये है। एक ब्रोकरेज रिपोर्ट के मुताबिक, टेलिकॉम कंपनी को 90,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा हुआ है। सबसे बड़ा बीएसएनएल के पास देशभर में 8.19 लाख किलोमीटर का ऑप्टिकल फाइबर (OF) नेटवर्क है जो कि पृथ्वी और चंद्रमा के बीच दूरी का दोगुना है। देश में बीएसएनएल के पास सबसे बड़ा ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क है। इसके बाद जियो दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है जिसके पास बीएसएनएल के आधे से कम 3.25 लाख किलोमीटर का ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क है। दूसरी कंपनियों को छोड़ दें तो इससे बीएसएनएल 30,000 करोड़ रुपये तक रेवेन्यू अर्जित कर सकती है। यानी बीएसएनएल के 50 वर्ष से ज्यादा आयु वाले कर्मचारियों के लिए इसके पास पर्याप्त VRS स्कीम फंड होना चाहिए। इस फंड की लागत 6,500 करोड़ रुपये होने का अनुमान है और जबकि कंपनी का कुल कर्ज 14,000 करोड़ रुपये है। इन्फ्रास्ट्रक्चर देशभर में बीएसएनएल के करीब 67,300 टावर हैं। देश के टेलिकॉम टावर नेटवर्क के 15 प्रतिशत हिस्से पर बीएसएनएल का कब्जा है और कंपनी इसे ऑपरेट करती है। इनमें से कई टावर देश के दूरदराज के इलाकों में हैं जहां कोई दूसरी टेलिकॉम कंपनी अब तक पहुंचने में नाकामयाब रही है। बीएसएनएल का टावर नेटवर्क अपने आप में एक अलग कंपनी है। पब्लिक सेक्टर टेलिकॉम कंपनी दूसरी कंपनियों को लीज पर देकर अपने टावर इन्फ्रास्ट्रक्चर के जरिए काफी पैसा कमाने में कामयाब रही है। 2017-18 में बीएसएनएल ने टावर शेयरिंग के जरिए 580.43 करोड़ रुपये कमाए। वहीं पिछले वित्त वर्ष के लिए इसने 600 करोड़ रुपये का टारगेट सेट किया था।
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