नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) विशेषज्ञों का मानना है कि इरडा द्वारा कार और दोपहिया वाहनों के लिए लंबी अवधि का तीसरा पक्ष बीमा अनिवार्य बनाये जाने से बीमाकर्ताओं के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी इसका फायदा होगा। एक सितंबर के बाद कार और दुपहिया खरीदने वाले ग्राहकों को दीर्घकालिक तीसरा पक्ष बीमा करना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे उनकी जेब पर बोझ बढ़ा है। एक विश्लेषक के मुताबिक इस आदेश से वाहन खरीदने के शुरुआती वर्षों के बाद तीसरा पक्ष बीमा नहीं खरीदकर कानून का पालन नहीं करने वालों में कमी आयेगी। सड़कों पर बीमा वाले वाहनों की संख्या बढ़ेगी। उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों को एक सितंबर, 2018 से नयी कार खरीदने वालों के लिए तीन साल और नये दोपहिया वाहनों खरीदने पर पांच साल का तीसरा पक्ष बीमा करने का निर्देश दिया है। बीमा उद्योग के एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि नये दिशा-निर्देशों से मोटर बीमा बेचने वाली कंपनियों को प्रीमियम के रूप में अधिक आय होगी। हालांकि, इसमें एक दिक्कत बनी हुई है कि ग्राहकों के पास एक बीमा कंपनी की बजाय दूसरी बीमा कंपनी से बीमा खरीदने का विकल्प नहीं होगा और वे लंबे समय के लिए प्रीमियम देने को बाध्य होंगे। आईसीआईसीआई लॉम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के कार्यकारी निदेशक संजीव मंत्री ने कहा, “दीर्घकालिक तीसरा पक्ष अनिवार्य बीमा शुरू किये जाने से वाहनों का बीमा नहीं होने की समस्या के समाधान में काफी मदद मिल सकती है। यह आम है कि वाहन की खरीदने के दो से तीन साल में दो पहिया वाहनों का बीमा करने वालों की संख्या 40 जबकि चार पहिया वाहनों के बीमा धारकों में 60 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है।’’ उन्होंने कहा, “हमारे लिए यह गहरी चिंता की बात है कि सड़कों पर पर्याप्त बीमा कवर के बगैर काफी वाहन चल रहे हैं ...हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि आने वाले वर्षों में मोटर बीमा में वृद्धि होगी।” उन्होंने कहा कि लंबी अवधि की नीति से इस समस्या का काफी हद तक हल निकाला जा सकता है। भाषा अंकित महाबीरमहाबीर
from Latest Business News in Hindi - बिज़नेस खबर, बिज़नेस समाचार, व्यवसाय न्यूज हिंदी में | Navbharat Times http://bit.ly/2p9bLqV