नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) मनी लौंड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के निर्णय करने वाले प्राधिकरण में पांच महीने की रिक्ति के बाद एक नये सदस्य की नियुक्ति हुई है। यह ऐसे समय में हुआ है जब प्राधिकरण बेनामी कानूनों के मामले की भी तात्कालिक तौर पर सुनवाई कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने हाल ही में यह आदेश जारी किया। भारतीय राजस्व सेवा के 1983 बैच के अधिकारी विनोदानंद झा को वित्त एवं अंकेक्षण के लिए प्राधिकरण का सदस्य बनाया गया है। समिति के आदेश में कहा गया कि उनका कार्यकाल नियुक्ति के दिन से पांच साल की अवधि के लिए या उनकी उम्र 65 साल हो जाने तक में से जो पहले होगा तब तक या अगले आदेश तक प्रभावी होगा। पीटीआई- भाषा ने इस साल जून में पहली बार खबर दी थी कि मार्च में चेयरमैन के सेवानिवृत्त होने के बाद से प्राधिकरण महज दो सदस्यों के साथ काम चला रहा था। उल्लेखनीय है कि सूत्रों के अनुसार प्राधिकरण के पास 200 से अधिक मामले लंबित हैं। प्राधिकरण ने सरकार को उसे मंजूरीप्रापत मानवशक्ति उपलब्ध कराने के लिये लिखा था। इसके साथ ही सरकार से बेनामी लेनदेन (निरोधक) कानून के तहत संपत्तियों की कुर्की के मामलों में निर्णय के लिये एक नई संस्था का गठन करने का भी आग्रह किया था। बेनामी लेनदेन (निरोधक) कानून 1988 में बना था लेकिन मोदी सरकार ने इसे पुनर्जीवित कर एक नवंबर 2016 से लागू किया। इस कानून के तहत निर्णय देने वाली संस्था के अभाव में सरकार ने अस्थाई तौर पर बेनामी के इन मामलों को देखने के लिये पीएमएलए कानून के तहत गठित निर्णय प्राधिकरण को ही काम सौंपा है। भाषा सुमन महाबीरमहाबीर
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