नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने रविवार को कहा कि देश में भविष्य के आवागमन साधनों के लिहाज से हाइब्रिड गाड़ियों को महत्वपूर्ण माना जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पेट्रोल, डीजल से चलने वाले वाहनों से इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर जाने के लिये समुचित बुनियादी ढांचा खड़ा करने की आवश्यकता है और इसमें समय लगेगा। हाइब्रिड वाहनों से तात्पर्य बिजली और पेट्रोल, डीजल दोनों तरह की तकनीक से चलने वाली गाड़ियों से हैं। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) प्रौद्योगिकी की शुरूआत दो-पहिया और तीन-पहिया वाहनों से होनी चाहिए। सारस्वत ने पीटीआई -भाषा से कहा, ‘‘किसी भी चीज का एक क्रम होता है। आज की जो स्थिति है, आपके पास 100 प्रतिशत ऐसी प्रणाली है जो परंपरागत ईंधन पर काम करती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आप आज सीधे बैटरी प्रौद्योगिकी पेश कर रहे हैं। बैटरी प्रौद्योगिकी में समय लगेगा क्योंकि इसके लिये संबंधित बुनियादी ढांचा क्षमता की जरूरत होगी।’’ सारस्वत ने कहा कि आप आंतरिक दहन तकनीक इंजन (आईसी) को लगातार कार्बन डाई आक्साइड उत्सर्जन की अनुमति नहीं दे सकते। ऐसे में उत्सर्जन में कमी लाने को लेकर आईसी इंजन को हाइब्रिड में तब्दील करना होगा। इसका मतलब है कि आप आईसी इंजन और इलेक्ट्रिक वाहनों को साथ-साथ लें।’’ नीति आयोग सदस्य ने कहा कि हाइब्रिड वाहनों के लिये देश के बुनियादी ढांचे में कोई बड़े सुधार की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘यही कारण है कि हाइब्रिड मार्ग को खोले रखना चाहिए। पहले दो पहिया और तीन पहिया वाहनों के लिये बैटरी प्रौद्योगिकी पेश पेश कीजिए...।’’ सारस्वत ने कहा कि ये वाहन ऐसे हों जिससे एक बार में चार्ज करने पर ये वाहन 100 से 150 किलोमीटर जा सके और इसके लिये प्रौद्योगिकी उपलब्ध हों। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व प्रमुख ने कहा कि हरित गैस उत्सर्जन के संदर्भ में बैटरी चालित प्रणाली प्रतिस्पर्धी नहीं होगी क्योंकि कोयला देश में अब भी बिजली उत्पादन का प्रमुख स्रोत है। भाषा रमण महाबीरमहाबीर
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