मुंबई, 16 सितंबर (भाषा) कृषि ऋण माफी, चुनाव के खर्च तथा अन्य लोकलुभावन फैसलों के चलते राज्य इस वित्त वर्ष की शुरुआत में तय किये गये राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों को पाने में पीछे रहे सकते हैं। एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है। शोध एवं परामर्श देने वाली कंपनी इक्रा ने सप्ताहांत नोट में कहा, ‘‘कृषि ऋण माफी, चुनाव संबंधी खर्च और बाढ़ राहत कार्यों के वित्तपोषण को देखते हुए राज्य अपने राजकोषीय अनुशासन के लक्ष्यों को पाने में असफल रह सकते हैं।’’ राज्यों के राजकोषीय घाटा का वित्तपोषण मुख्यत: राज्यों द्वारा विकास ऋण (एसडीएल) जुटाने के लिये बॉंड जारी करने के जरिये किया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल से अगस्त 2018 के दौरान राज्यों के राज्य विकास रिण जारी करने में 3.4 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह राशि 1,320 अरब रुपये रही है। लेकिन इसमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्य की ओर से ऐसे रिण बांड जारी करने में आई कमी की वजह से रहा है। इन तीन राज्यों को छोड़कर अन्य सभी राज्यों का एसडीएल वर्ष के पहले पांच माह के दौरान 14.7 प्रतिशत बढ़ा है। इक्रा ने कहा कि इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष में पिछले वित्त वर्ष के 800 अरब रुपये के बजाय इस वित्त वर्ष में 1300 अरब रुपये के एसडीएल भुनाये जाने का अनुमान हैं। हाल ही में रिजर्व बैंक ने हालांकि, यह कहा था कि सभी 29 राज्यों का राजकोषीय घाटा उनके बजट अनुमान के मुताबिक गिरकर राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद के 2.6 प्रतिशत पर आ सकता है। पिछले वित्त वर्ष में यह 3.1 प्रतिशत था। भाषा सुमन महाबीरमहाबीर
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