मुंबई, 16 सितंबर (भाषा) रुपये की गिरावट थामने के लिए सरकार द्वारा शुक्रवार को की गयी घोषणाओं का ज्यादा असर नहीं होगा। इनसे संभव है कि विदेशी कोष आकर्षित नहीं हो बल्कि अल्पकालिक ऋण बढ़ने से इसका दीर्घकालिक परिदृश्य नकारात्मक हो सकता है। एचडीएफसी बैंक की एक रिपोर्ट में यह आशंका जतायी गयी है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘इस बात पर गौर करने पर कि जो कदम उठाये गये हैं उनसे अल्पकालिक बाह्य ऋण बढ़ेगा या इसके तहत कंपनियों का जोखिम बढ़ेगा जिसके समक्ष उनके पास बचाव का उपाय नहीं होगा। ऐसी स्थिति में इन उपायों को नकारात्मक ही माना जायेगा।’’ बैंक ने चेतावनी दी कि अल्पकालिक बाह्य वाणिज्यिक ऋण बढ़ने से अतिसंवेदनशीलता आगे और बिगड़ सकती है जिसे वैश्विक निवेशक नकारात्मक मान सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘इन कदमों का बेहतर परिणाम तब सामने आता जब वैश्विक बाजार की धारणा उभरते बाजारों के बारे में सकारात्मक हो।’’ बैंक ने कहा कि विदेशी निवेशकों में मसाला बांड की मांग सामान्य तौर पर रुपये की स्थिरता पर निर्भर करती है। ऐसे माहौल में जब रुपया दवाब में है, विदेशी निवेशक शायद ही रुपया केंद्रित माध्यमों में निवेश बढ़ायें। सरकार ने जो उपाय किये हैं उनमें विनिर्माण क्षेत्र की इकाइयों को पांच करोड़ डालर तक का कम से कम एक साल की अवधि के लिये विदेशी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) लेने की अनुमति दी गई है जबकि पहले इसके लिये तीन साल की अवधि रखी गई थी। मसाला बॉंड इश्यू के लिये विदहोल्डिंग कर से छूट दी गई है साथ ही भारतीय बैंकों पर मसाला बांड के लिये बाजार बढ़ाने पर प्रतिबंध हटा लिये गये हैं। विदेशी निवेशकों के लिये एकल समूह के तौर पर तय सीमा को भी हटा लिया गया है। भाषा सुमन महाबीरमहाबीर
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