नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) रिजर्व बैंक ने कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है। केंद्रीय बैंक का फंसे कर्ज से जुड़े नियमों में ढील नहीं देने को इसकी वजह बताया जा रहा है। इस समिति का गठन बिजली क्षेत्र की कर्ज में फंसी परियोजनाओं के लिये समाधान तलाशने के वास्ते किया गया है। सूत्र ने इसकी जानकारी देते हुये कहा, ‘‘आरबीआई फंसी पड़ी बिजली परियोजनाओं के लिये गठित उच्चसतरीय समिति की बैठक में भाग लेने का इच्छुक नहीं है। उसके प्रतिनिधि समिति की पहली और दूसरी बैठक में शामिल नहीं हुए। पहली बैठक 31 अगस्त को और दूसरी 14 सितंबर को हुई।’’ उसने कहा, ‘‘केंद्रीय बैंक ने समिति की बैठक में शामिल नहीं होने के अपने कारण दिये हैं। आरबीआई ने अदालतों में अपना रुख बिल्कुल साफ किया है कि वह फंसे कर्ज के समाधान को लेकर नये मसौदे में किसी प्रकार की ढील नहीं देगा। साथ ही आरबीआई संपत्ति पुनर्गठन कंपनी के गठन को लेकर भी नियमों में ढील देने को तैयार नहीं है...।’’ आरबीआई ने उच्चतम न्यायालय समेत विभिन्न अदालतों में अपना रुख रखा है और मामला अब भी विचाराधीन है। उच्चस्तरीय समिति की 31 अगस्त 2018 को हुई पहली बैठक से पहले बिजली मंत्री आर के सिंह ने संवाददाताओं से कहा था कि आरबीआई को उच्च स्तरीय समिति की बैठक में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया है। हालांकि, आरबीआई की ओर से बैठक में कोई नहीं आया। इसी प्रकार, 14 सितंबर को हुई दूसरी बैठक में भी उनकी तरफ से कोई शामिल नहीं हुआ। सरकार द्वारा गठित समिति में रेलवे, वित्त, बिजली तथा कोयला मंत्रालय के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। साथ ही इसमें उन बैंक और वित्तीय संस्थानों को भी शामिल किया गया है जिन्होंने 29 जुलाई 2018 तक बिजली क्षेत्र को बड़ा कर्ज दे रखा है। इसका मकसद दबाव वाली बिजली परियोजनाओं को पटरी पर लाना है। इससे पहले, आरबीआई ने बिजली मंत्रालय के उस आग्रह को खारिज कर दिया था जिसमें संपत्ति पुनर्गठन कंपनी (एआरसी) के गठन में कुछ छूट देने की बात कही गयी थी। एआरसी दबाव वाली संपत्तियों को अपने पास रखेगी ताकि इन परियोजनाओं को आनन फानन में परेशानी में नहीं बेचना पड़े।भाषा रमण महाबीरमहाबीर
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