कोई वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था को दिशा दे सकता है, उसे उस दिशा में हांक नहीं सकता। बैंकों को ब्याज दर घटाने और परियोजनाओं के लिए कर्ज देने पर राजी कर करने से सरकार की सक्रियता का अहसास हो सकता है, लेकिन इससे परिस्थित विकट हो सकती है जैसा कि यूपीए सरकार में हुआ था। जेटली ने लालच का ऐसा भाव कभी नहीं दिखाया।
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