नई दिल्ली खबर है कि रिजर्व बैंक के डेप्युटी गवर्नर ने पद से इस्तीफा दे दिया है। अभी उनका कार्यकाल छह महीने बचा हुआ था। 23 जनवरी, 2017 को आरबीआई जॉइन करने वाले आचार्य 90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण के बाद से केंद्रीय बैंक के सबसे कम उम्र के डेप्युटी गवर्नर थे। पिछले वर्ष 26 अक्टूबर को उन्होंने आरबीआई की स्वायत्तता बरकरार रखने की जरूरत को लेकर बयान दिया था। हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स ने उनके पद छोड़ने की खबर की पुष्टि की है। ईटी की छानबीन में पता चला है कि आचार्य न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के लिए जाएंगे। उनका परिवार भी न्यू यॉर्क में ही रहता है। गौरतलब है कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर के अचानक पद छोड़ने के वक्त से ही आर्चार्य थोड़े असहज महसूस कर रहे थे। फाइनैंशल सिस्टम्स पर उनका अकादमिक नजरिया बाकियों से अलग होता था। यही वजह है कि विरल आचार्य ने पिछले दो बार से मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान आर्थिक विकास और महंगाई, दोनों मुद्दों पर उनकी अलग राय आई। हालिया मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में आरबीआई गवर्नर और डेप्युटी गवर्नर विरल आचार्य के बीच वित्तीय घाटा और इसका सही-सही आकलन के मुद्दे पर असहमति दिखी। बहरहाल, आरबीआई के वरिष्ठतम डेप्युटी गवर्नर एन. विश्वनाथन का कार्यकाल खत्म होने वाला है। लेकिन, विरल आचार्य के अचानक पद छोड़ने के कारण विश्वनाथन का कार्यकाल बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है।
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