नई दिल्ली भारत के प्रमुख बैंकरों में शुमार रहीं चंदा कोचर के पति गिरफ्तार हो चुके हैं। ICICI-वीडियोकॉन मनी लॉन्ड्रिंग केस में यह कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने की है। राजस्थान के जोधपुर में एक सिंधि हिंदू परिवार के घर पैदा हुईं चंदा कोचर बेहतर शैक्षणिक माहौल में पली-बढ़ीं। उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में बैचलर, इंस्टिट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटैंट्स ऑफ इंडिया से कॉस्ट अकाउंटैंसी की और फिर मुंबई यूनिवर्सिटी से ही मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री ली। ICICI में चंदा कोचर का सफर 1984 में उन्होंने 23 वर्ष की उम्र में इंडस्ट्रियल क्रेडिट ऐंड इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी ICICI में बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी जॉइन किया। कोचर ने 1990 के दशक में ICICI बैंक खुलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कारण वो बैंक की कोर टीम में शामिल की गईं। साल 1994 में बैंक ने उनका प्रमोशन बैंक के असिस्टेंट जनरल मैनेजर (AGM) के पद पर कर दिया और दो साल बाद ही 1996 में वो ICICI बैंक की डेप्युटी जनरल मैनेजर (DGM) बन गईं। 1998 में वो जनरल मैनेजर (GM) बनीं और बैंक के टॉप 200 क्लाइंट्स के देखभाल का जिम्मा इनके जिम्मे चला गया। उनकी देखरेख में आईसीआईआई बैंक ने खूब तरक्की की और 2006 आते-आते कोचर को डेप्युटी मैनेजिंग डायरेक्टर (DMD) बना दिया गया। 2007 में वो चीफ फाइनैंशल ऑफिसर (CFO) बनाई गईं और फिर 2009 में उन्हें की मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) और चीफ एग्जिक्युटिव ऑफिसर (CEO) का बेहद अहम ओहदों से नवाजा गया। एक आरोप और सब मटियामेट तेज रफ्तार से तरक्की की सीढ़ियां चढ़ने और लगातार प्रतिष्ठा प्राप्त करने के बाद 2016 में पहली बार किसी ने कोचर की तरफ उंगली उठाई। बैंक के एक शेयरहोल्डर ने तब वीडियोकॉन ग्रुप के साथ हितों के टकराव का मुद्दा उठाया जिसके आधार पर अब कोचर के पति की गिरफ्तारी हो चुकी है। आइए जानते हैं क्या है यह मामला... विडियोकॉन ग्रुप को 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से 3,250 करोड़ रुपये का लोन मिला था। यह लोन कुल 40 हजार करोड़ रुपये का एक हिस्सा था जिसे विडियोकॉन ग्रुप ने एसबीआई के नेतृत्व में 20 बैंकों से लिया था। आरोप है कि विडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने 2010 में 64 करोड़ रुपये न्यूपावर रीन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NRPL) को दिए थे। इस कंपनी को धूत ने दीपक कोचर और दो अन्य रिश्तेदारों के साथ मिलकर खड़ा किया था। आरोप है कि चंदा कोचर के पति दीपक कोचर समेत उनके परिवार के सदस्यों को कर्ज पाने वालों की तरफ से वित्तीय फायदे पहुंचाए गए। आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक से लोन मिलने के 6 महीने बाद धूत ने कंपनी का स्वामित्व दीपक कोचर के एक ट्रस्ट को 9 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया। 34 साल बाद 2018 में ICICI से विदाई इससे पहले, इसी साल जनवरी के दूसरे हफ्ते में ईडी ने चंदा कोचर के मुंबई स्थित फ्लैट और उनके पति दीपक कोचर की कंपनी की कुछ संपत्तियों को अटैच किया था। तब जब्त संपत्तियों की कुल मूल्य 78 करोड़ रुपये बताई गई थी। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) के तहत जिन संपत्तियों को कुर्क करने का अस्थाई आदेश जारी किया गया, उनमें कोचर का मुंबई आवास और उनसे जुड़ी एक कंपनी की संपत्तियां शामिल हैं। बहरहाल, बैंक की कर्जदार कंपनी विडियोकॉन इंडस्ट्रीज की तरफ से कोचर के पति की कंपनी में निवेश को लेकर गड़बड़ी के आरोपों के बाद चंदा कोचर ने अक्टूबर 2018 में इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने खिलाफ बैंक से जारी बर्खास्तगी लेटर को बंबई हाई कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने कोर्ट से उस लेटर को वैध घोषित करने की मांग की है, जिसमें उन्होंने अक्टूबर 2018 में जल्दी रिटायरमेंट की घोषणा की थी और बैंक ने स्वीकार कर लिया था।
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