GST compensation cess: केंद्र ने पल्ला झाड़ा, आगे घमासान होना तय

नई दिल्ली जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर () पर केंद्र और राज्यों के बीच फिर से घमासान होना तय है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर से मिलने वाला राजस्व राज्यों को दिया जाता है, ऐसे में केन्द्र सरकार इस कर की गारंटी के बदले कर्ज नहीं ले सकती है क्योंकि यह उसका नहीं है। चालू वित्त वर्ष के दौरान माल एवं सेवाकर (जीएसटी) राजस्व में होने वाले करीब 2.35 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच ठनी हुई है। केंद्र के गणित के हिसाब से इस राशि में से करीब 97,000 करोड़ रुपये की ही राशि है जिसका नुकसान जीएसटी पर अमल की वजह से होगा जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान कोविड-19 के प्रभाव की वजह से होगा। केंद्र सरकार ने जीएसटी राजस्व की भरपाई के लिए राज्यों के समक्ष पिछले महीने दो विकल्प रखे थे। एक विकल्प यह दिया था कि राज्य जीएसटी क्षतिपूर्ति का 97,000 करोड़ रुपये रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाले विशेष खिड़की सुविधा से उधार लेकर पूरा कर लें और दूसरा विकल्प की राज्य 2.35 लाख करोड़ रुपये की पूरी राशि बाजार से जुटा लें। भाजपा शासित राज्यों का विरोधइस उधार को चुकाने के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर को 2022 के बाद भी जारी रखा जाएगा। जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर विलासिता, गैर-जरूरी और अहितकर वस्तुओं पर लगाया जाता है। गैर-भाजपा शासित छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर राज्यों को दिए गए दोनों विकल्पों का विरोध किया है। पश्चिम बगाल, केरल, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु ने राजस्व भरपाई के लिए राज्यों द्वारा उधार लेने के सुझाव को दरकिनार करते हुए केंद्र से भरपाई का इंतजाम करने को कहा है। केंद्र का तर्ककेंद्र सरकार के सूत्रों ने बताया कि जीएसटी कानून के तहत क्षतिपूर्ति उपकर ऐसा कर है जो कि राज्यों का है। केंद्र का इस पर अधिकार नहीं है ऐसे में केंद्र इस कर के एवज में बाजार से उधार नहीं जुटा सकता है। एक सूत्र ने कहा, ‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 292 के मुताबिक केन्द्र सरकार भारत की संचित निधि के तहत अपने संसाधनों और करों की गारंटी पर ही उधार ले सकती है। वह ऐसे कर की गारंटी के एवज में उधार नहीं ले सकती ह जो उसका नहीं है।’ सूत्रों ने कहा कि क्षतिपूर्ति उपकर राज्यों को समर्पित संसाधन है और केवल राज्य ही इस उपकर के तहत भविष्य में होने वाली प्राप्ति के बदले बाजार से उधार उठा सकते हैं। यह उपकर आखिरकार राज्यों के संचित कोष में ही जाएगा।


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