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नई दिल्ली भारत की अर्थव्यवस्था जून तिमाही में करीब एक चौथाई तक सिकुड़ने की आशंका (Corona hit Economy may have Shrunk by 14-26 percent) जताई जा रही है। इसकी वजह है कोरोना वायरस महामारी और उसकी वजह से लागू किया गया लॉकडाउन। ये आशंका एक पोल के जरिए जताई गई है, जिसमें हमारे सहयोगी इकनॉमिक टाइम्स ने 10 अर्थशास्त्रियों से इस पर एक पोल करवाया है। उन्होंने चेताते हुए कहा है कि कोरोना वायरस से अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान () की भरपाई में अभी लंबा वक्त लग सकता है, क्योंकि अभी वायरस लगातार फैल रहा है और मामले भी लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। कितनी सिकुड़ सकती है अर्थव्यवस्था? आशंका है कि अर्थव्यवस्था जून तिमाही में 13.6 से लेकर 25.7 फीसदी तक सिकुड़ी हो सकती है। बता दें कि जीडीपी के आधिकारिक आंकड़े 31 अगस्त को जारी किए जाएंगे। इससे पहले 31 मार्च को खत्म हुई तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 3.1 फीसदी की दर से बढ़ी थी। ये इशारा कर रही थी कि महामारी से भारत पहुंचने से पहले अर्थव्यवस्था की ग्रोथ धीमी हो रही है। बता दें पूरे वित्त वर्ष 2020 में भारत की अर्थव्यस्था 4.2 फीसदी की दर से बढ़ी थी। वित्त वर्ष 2020 में जून तिमाही में अर्थव्यवस्था 5.2 फीसदी की दर से बढ़ी थी। विशेषज्ञों को कहना है कि इस बार जून तिमाही में आई गिरावट का आंकड़ा रेकॉर्ड बना सकता है। इकनॉमिक टाइम्स ने जिन अर्थशास्त्रियों के साथ पोल किया था, उनका कहना था कि अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए भारत को वायरस के फैलने पर कंट्रोल पाना होगा। उन्होंने ये भी कहा कि अर्थव्यवस्था को सपोर्ट करने के लिए सरकार को कुछ और भी कदम उठाने होंगे। बता दें कि भारत में 25 मार्च से लॉकडाउन शुरू हुआ था और कई चरणों में मई में खत्म हुआ। जून से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन जुलाई में कई राज्यों में दोबारा मामले बढ़ने पर वहां भी कुछ समय के लिए लॉकडाउन लगाया गया। लोकल लॉकडाउन से भी अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा असर पड़ा है।
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