निष्ठा सलूजा/दीपक दास, नई दिल्ली () से टोल वसूली में काफी इजाफा हुआ है और यह कैश कलेक्शन से आगे निकल चुका है। नैशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के डेटा के मुताबिक, फास्टैग से औसत वसूली 66 फीसदी तक पहुंच गई है। नवंबर 17-23 के बीच फास्टैग से को 26.4 करोड़ रुपये आए थे, जबकि 15-21 दिसंबर के बीच फास्टैग से कुल कलेक्शन 44 करोड़ रहा। कैश कलेक्शन में करीब 30 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है। पहले रोजाना कैश कलेक्शन 51 करोड़ के करीब था जो घटकर 35.5 करोड़ पर पहुंच गया है। 1 करोड़ फास्टैग की बिक्री हो चुकी है हाइवे मिनिस्ट्री की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 1.04 करोड़ फास्टैग बेचे जा चुके हैं और रोजाना 1 लाख नए फास्टैग की बिक्री हो रही है। आधिकारिक डेटा के मुताबिक, फास्टैग के इस्तेमाल में काफी तेजी आई है। 16 दिसंबर को रोजाना 19.50 लाख फास्टैग का इस्तेमाल होता था जो 24 दिसंबर को बढ़कर 24.78 लाख पर पहुंच गया। बैंक अकाउंट से कट जाते हैं पैसे फास्टैग को पहली बार 2014 में लॉन्च किया गया था। यह एक RFID आधारित टैग है, जिससे आपके बैंक खाते से लिंक किया जा सकता है। आप इस टैग को अपनी गाड़ी के शीशे पर चिपका सकते हैं और टोल से गुजरने पर इससे अपने आप पैसे कट जाएंगे। हालांकि जुलाई में निर्देश आने से पहले तक फास्टैग की बिक्री ने जोर नहीं पकड़ा था। 100 पर्सेंट इलेक्ट्रॉनिक का लक्ष्य ईटी ने सबसे पहले 9 जुलाई को रिपोर्ट छापी थी कि सरकार 100 पर्सेंट इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन को अनिवार्य बनाने की योजना बना रही है। पहली छमाही तक देश के कुल टोल कलेक्शन में फास्टैग का हिस्सा करीब 20 पर्सेंट था। अधिकारी ने बताया कि अभी तक करीब 1.1 करोड़ फास्टैग की बिक्री हो चुकी है। हालांकि अभी भी गाड़ियों की एक बड़ी संख्या फास्टैग से दूर है। उन्होंने बताया, 'हमारे मुताबिक अभी करीब 50 पर्सेंट गाड़ियों में फास्टैग नहीं लगा हुआ है।' 15 जनवरी तक है मौका सरकार का अनुमान है कि 15 जनवरी तक कुल टोल कलेक्शन में फास्टैग का हिस्सा 75 से 80 पर्सेंट तक पहुंच जाएगा। 25 पर्सेंट टोल लेन में कैश भुगतान स्वीकार करने की सीमा 15 जनवरी को खत्म हो रही है। इसके बाद ये लेन सिर्फ फास्टैग यूजर के लिए ही रिजर्व होंगी। बिना फास्टैग वाली गाड़ियों को इन लेन में घुसने पर दोगुना टोल चुकाना होगा। (ईटी इनपुट्स के साथ)
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