जेंडर डायवर्सिटी पर नए IIM का दबदबा, छात्राओं की संख्या छात्रों से ज्यादा

श्रीराधा डी बासु/प्राची वर्मा, नई दिल्ली नए इंडियन इंस्टिट्यूट्स ऑफ मैनेजमेंट (IIM) का परफॉर्मेंस के मोर्चे पर पुराने और मशहूर से बेहतर है। इस साल टॉप 6 IIM के नए बैच में छात्राओं का औसत 33.5 पर्सेंट रहा है और कम-से-कम 2 नए IIM में छात्राओं की संख्या छात्रों से ज्यादा है। IIM संबलपुर के 2019-21 वाले बैच में 98 स्टूडेंट हैं, जिनमें 50 छात्राएं हैं। IIM रोहतक के 246 स्टूडेंट्स के नए बैच में 124 छात्राएं हैं। इसके 2016 वाले बैच में छात्राओं की संख्या केवल 6 पर्सेंट थी। IIM रोहतक के डायरेक्टर धीरज शर्मा बताते हैं, 'जेंडर डायवर्सिटी से बना माहौल फ्यूचर बिजनस लीडर्स में रचनात्मकता, आत्मविश्वास और सोच में खुलापन लाता है। क्लास में डायवर्सिटी बढ़ने से नजरिए, राय और आइडिया में विविधता आती है। इससे बिजनस प्रॉब्लम्स के लिए स्टूडेंट्स की तरफ से ऑफर किए जाने वाले सॉल्यूशंस में पैनापन आता है।' IIM में जेंडर डायवर्सिटी बढ़ने की वजह इनमें दाखिले के लिए होने वाले कॉमन एडमिशन टेस्ट (CAT) के एप्लिकेंट्स में छात्राओं की संख्या बढ़ना भी है। CAT 2018 के लिए 84,350 छात्राओं ने रजिस्ट्रेशन कराया था जो 2013 के 56,409 के मुकाबले डेढ़ गुना से ज्यादा है। नए रेकॉर्ड्स ज्यादातर नए IIM में दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स में छात्राओं का पर्सेंटेज बढ़ा है। IIM काशीपुर ने इस साल 29 फीमेल कैंडिडेट्स को एडमिशन दिया है। पिछले साल यहां सिर्फ 6 छात्राएं आई थीं। इसी तरह IIM उदयपुर में पिछले साल के 66 मुकाबले इस साल 88 छात्राओं का एडमिशन हुआ है। IIM नागपुर में इस साल 25 छात्राएं आई हैं जबकि पिछले साल 20 जबकि दो साल पहले 2 छात्राओं का एडमिशन हुआ था। हालांकि IIM तिरुचिरापल्ली में इस साल छात्राओं का प्रतिशत 51% से गिरकर 40% रह गया है लेकिन पिछले साल के मुकाबले इस साल वहां एक ज्यादा यानी कुल 93 छात्राओं ने दाखिला लिया है। उछाल की वजह? IIM का कहना है कि छोटा बैच होने और लोकेशन को लेकर बनी असहजता के बावजूद उनकी तरफ से ज्यादा छात्राओं के दाखिले को बढ़ावा दिया जा रहा है। पिछले साल छात्राएं जुटाने में मुश्किल महसूस कर रहे IIM संबलपुर ने इस साल छात्राओं के लिए 90% का कट-ऑफ रखा, जबकि छात्रों के लिए 95% तय किया। IIM काशीपुर के एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर विनय कुमार शर्मा बताते हैं कि उनके यहां छात्राओं के लिए एडमिशन पॉलिसी में जेंडर डायवर्सिटी के नाम पर 5 पॉइंट दिए गए। IIM उदयपुर ने भी जेंडर डायवर्सिटी के नाम पर छात्राओं को अडिशनल पॉइंट दिए। IIM रोहतक ने मेट्रो शहरों में आउटरीच ऐक्टिविटी चलाने के अलावा, छात्राओं को कॉलेज जॉइन करने का फैसला लेने से पहले कैंपस विजिट के लिए AC-3 टियर का रेल का किराया रिंबर्स किया था। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि जेंडर डायवर्सिटी को बढ़ावा देने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की अति हो गई है लेकिन रेडिफडॉटकॉम के फाउंडर अजीत बालाकृष्णन ऐसा नहीं मानते। एक दशक तक IIM कोलकाता के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन रहे बालाकृष्णन का कहना है कि इंट्रेंस प्रोसेस पारंपरिक रूप से क्वांट (मैथ, स्टैटिस्टिक्स) बेस्ड रहा है। इसलिए इसे पास करने वाले 90 पर्सेंट इंजीनियर्स होते हैं जिनमें भी छात्राओं की संख्या कम होती है।


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