नई दिल्लीअर्थव्यवस्था की सुस्त रफ्तार नई सरकार को परेशान कर रही है। सोमवार को आए आर्थिक आंकड़ों से भी इकॉनमी की रफ्तार धीमी पड़ने की पुष्टि हुई। गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) से जून में राजस्व एक लाख करोड़ रुपये से कम हो गया, जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का प्रदर्शन पिछले साल जुलाई-सितंबर तिमाही के बाद सबसे खराब रहा। वहीं, मई में कोर सेक्टर ग्रोथ धीमी पड़ गई। इनसे नई वित्त मंत्री की परेशानी बढ़ गई है, जो इस हफ्ते बजट पेश करने जा रही हैं। जीएसटी कलेक्शन घटा तीन महीने तक एक लाख करोड़ से ऊपर बने रहने के बाद जून में जीएसटी से राजस्व घटकर 99,939 करोड़ रुपये रह गया। इससे पिछले महीने जीएसटी कलेक्शन 1,00,289 करोड़ रुपये था। वित्त मंत्रालय ने जून के जीएसटी कलेक्शन डेटा सोमवार को जारी किए। पिछले साल जून में जीएसटी से सरकारी खजाने में 95,610 करोड़ रुपये आए थे, जबकि इस साल जून में कलेक्शन उससे 4.5 पर्सेंट अधिक रहा। 5 जुलाई के बजट में जीएसटी कलेक्शन में आई कमी का भी ख्याल रखना होगा। पीडब्ल्यूसी इंडिया में इनडायरेक्ट टैक्स के पार्टनर और लीडर प्रतीक जैन ने बताया, 'जीएसटी कलेक्शन में सालाना आधार पर मामूली बढ़ोतरी चिंता की बात है। हमें लगता है कि आने वाले कुछ महीनों में जीएसटी चोरी रोकने के लिए ऑडिट और जांच बढ़ सकती हैं।' पिछले वित्त वर्ष में भी जीडीपी ग्रोथ में गिरावट आई थी और यह 6.8 पर्सेंट के साथ पांच साल के निचले स्तर पर पहुंच गई थी। कोर सेक्टर का बुरा हाल 8 इंडस्ट्री वाले कोर सेक्टर की ग्रोथ मई में 5.1 पर्सेंट रही और संशोधन के बाद अप्रैल की ग्रोथ 6.3 पर्सेंट पहुंच गई। अप्रैल में स्टील सेक्टर की रिवाइज्ड ग्रोथ के 19 पर्सेंट रहने से ग्रोथ इतनी बढ़ी है, जबकि पहले इसके 2.6 पर्सेंट रहने का अनुमान लगाया गया था। कोल्ड रोल्ड कॉयल को शामिल करने से अप्रैल में स्टील प्रॉडक्शन में तेज बढ़ोतरी हुई। पिछले अनुमान में इस महीने में स्टील सेक्टर की ग्रोथ 1.5 पर्सेंट रहने का अनुमान लगाया गया था। कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी प्रॉडक्ट्स, खाद, स्टील, सीमेंट और बिजली वाले 8 कोर सेक्टर का इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन (आईआईपी) में 40.27 पर्सेंट वेटेज है। मैन्युफैक्चरिंग भी पड़ा ठंडा नए ऑर्डर में कमी से वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी भी सुस्त पड़ गई। इस साल अप्रैल-जून तिमाही में इसकी ग्रोथ वित्त वर्ष 2018 की जुलाई तिमाही के बाद सबसे कम हो गई। इस पर कोटक महिंद्रा बैंक की अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा, 'इकनॉमिक ग्रोथ सुस्त है और इन आंकड़ों से इसकी पुष्टि हुई है।' उन्होंने बताया, 'मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ ठंडी पड़ी हुई है। इस साल की शुरुआत में सरकारी खर्च कम रहा था, इसलिए कोर सेक्टर की हालत भी खराब है। सरकार के खर्च बढ़ाने से हम आने वाले महीनों में इसमें सुधार की उम्मीद कर रहे हैं।' निक्केई इंडिया परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स जून में गिरकर 52.1 पर आ गया, जो मई में 52.7 पर था।
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