नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) पूंजी बाजार नियामक सेबी के दायरे में होने वाली लेखापरीक्षकों की गतिविधियों का नियमन पूरी तरह से सेबी के अधिकार क्षेत्र में आता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह कहा है। चार्टर्ड एकाउंटेंट की शीर्ष संस्था आईसीएआई ने हालांकि सेबी के इस संबंध में लाये गये प्रस्ताव को लेकर चिंता व्यक्त की है। कारपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने यह भी कहा कि ‘इन नियमनों में एक दूसरे के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं होगा।’ प्रतिभूति बाजार में चार्टर्ड अकाउंटेंट, लागत लेखा परीक्षक, कंपनी सेक्रेटरी और सहित कंपनियों से जुड़े विश्वास वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़े नियम लागू करने के सेबी के प्रस्ताव की पृष्ठभूमि में उन्होंने यह बयान दिया है। पूंजी बाजार नियामक की 18 सितंबर को होने वाली बोर्ड की बैठक में सेबी के इससे संबंधित नियमन में प्रस्तावित सुधारों पर चर्चा हो सकती है। श्रीनिवास ने ‘पीटीआई-भाषा’ को एक साक्षात्कार में कहा कि सेबी जब लेखा परीक्षकों के नियमन की बात करता है तो ऐसा वह अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर करता है। इसमें प्रमाणन की जरूरत सेबी कानून के तहत जरूरी है साथ ही उसके प्रमाणन के तहत आने वालों का नियमन भी उसे करना होता है। उन्होंने कहा कि इसमें स्पष्ट सीमारेखा है। प्रत्येक विधायी रुपरेखा में उससे जुड़े नियामक भी नियमन करते हैं। इनमें एक दूसरे के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं होगा। कारपोरेट कार्य मंत्रालय में सचिव सेबी बोर्ड में भी सदस्य हैं। इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स आफ इंडिया (आईसीएआई) कारपोरेट कार्य मंत्रालय के अधीन आता है। उसने चार्टर्ड एकाउंटेंट को सूचीबद्ध कंपनियों के मामले में विश्वस्त इकाई मानने और उन्हें अपने नियमन दायरे में लाने के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है। भाषा अंकित महाबीरमहाबीर
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