Indian Railways: 14 लाख कर्मचारी और मेंबर स्टॉफ का पोस्ट खत्म

नई दिल्ली केंद्र सरकार ने बीते बुधवार को रेलवे से जुड़ा एक महत्वपूर्ण फैसला किया है। यह फैसला रेलवे बोर्ड के रिस्ट्रक्चरिंग (Restructuring) से जुड़ा है। इसमें रेलवे बोर्ड () के तीन सदस्यों का पोस्ट खत्म कर दिया गया है तो दो पोस्टों को मिला कर एक कर दिया गया है। खत्म होने सदस्यों में स्टॉफ, मैटेरियल मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग के पोस्ट शामिल हैं। ट्रैक्शन और रोलिंग स्टॉक के पहले अलग-अलग पोस्ट होते थे, जिसे मिला कर एक कर दिया गया है। 14 लाख कर्मचारी लेकिन स्टाफ का पोस्ट खत्म भारत में जब से रेलगाड़ियों का परिचालन शुरू हुआ, तभी से इसमें काम करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा था। आज भी इसमें करीब 14 लाख कर्मचारी काम करते हैं। रेलवे में अंग्रेजो के जमाने में भी कर्मचारियों के प्रबंधन पर भारी तवज्जो दी जाती थी। तभी तो जबसे रेलवे बोर्ड बना, शायद, तभी से मेंबर स्टाफ का पद चला आ रहा है। हालांकि पहले रेलवे के पर्सनल मामलों को डील करने के लिए स्पेशलाइज्ड कैडर नहीं था। इसलिए मेकेनिकल, इलेक्ट्रिकल या सिविल इंजीनियर मेंबर स्टाफ बन जाते थे। बाद में, सन 1980 में, एक स्पेशलाइज्ड कैडर भारतीय रेल कार्मिक सेवा की शुरूआत की गई। यही रेलवे में पर्सनल मामलों को देखते हैं। सिविल सर्विसेज परीक्षा से रेलवे के तीन कैडर रेलवे में सिविल सर्विसेज परीक्षा से तीन कैडर के अधिकारी आते हैं। सबसे ज्यादा ट्रैफिक सर्विस (IRTS) में अधिकारी आते हैं जो कि रेलवे का कामर्शियल एवं रेल गाड़ियों के परिचालन को देखते हैं। दूसरी सेवा अकाउंट (IRAS) है जो कि अकाउंटिंग देखते हैं। तीसरी सेवा पर्सनल () है, यह कर्मचारियों से जुड़े मामले देखते हैं। यूं तो, सिविल सेवा परीक्षा से ही आरपीएफ (RPF) के वरिष्ठ अधिकारी भी आते हैं, लेकिन उनका रेलवे के ऑपरेशन में सक्रिय योगदान नहीं माना जाता है। रिस्ट्रक्चरिंग में हुआ पर्सनल वालों का घाटा इस रिस्ट्रक्चरिंग में ट्रैफिक वालों का तो मेंबर ऑपरेशन एंड बिजनेस डेवलपमेंट बच गया। फाइनेंस सर्विस वालों का भी मेंबर फाइनेंस पद बरकरार है जबकि पर्सनल सर्विस वालों का मेंबर स्टाफ पद खत्म कर दिया गया। इसी वजह से आईआरपीएस के अधिकारियों में जबर्दस्त असंतोष है। रेलवे का 65 फीसदी खर्च मैन पावर पर आईआरपीएस कैडर के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि रेल मंत्री को गलत सलाह दी गई है। यदि मेंबर स्टाफ की जरूरत नहीं होती तो इस पोस्ट को शुरू में ही नहीं बनाया जाता। अभी, जबकि किसी भी फैसले के केंद्र में मानव संसाधन होता है, ऐसे में मेंबर स्टाफ का पद खत्म किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उनका कहना है कि रेलवे का 65 फीसदी खर्च मैन पावर पर होता है और इससे जुड़े महकमे को ही नेगलेक्ट किया जा रहा है।


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