नई दिल्लीटेलीकॉम क्षेत्र (Telecom sector) की सरकारी कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (Bharat Sanchar Nigam Limited) करीब 20,000 और कांट्रेक्ट वर्करों (Contract Workers) की छंटनी () करने वाली है। इससे पहले, कंपनी ऐसे 30,000 वर्करों की छंटनी कर चुकी है। यह स्थिति भी तब है, जबकि इन कांट्रेक्ट वर्करों को बीते एक साल से अधिक समय से वेतन का भुगतान नहीं हो पाया है। योजना पर अमल के बाद वित्तीय स्थिति खराब कर्मचारी संघ ने कंपनी के अध्यक्ष वी के पुरवार को भेजे एक पत्र में कहा है कि कंपनी की इस वित्तीय हालत के पीछे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) जिम्मेदार है। जब से इस योजना पर अमल हुआ है, कंपनी की वित्तीय स्थिति (Financial Health) खराब हो गई है। यही नहीं, अब कर्मचारियों की तंगी की वजह से कई स्थानों पर ठीक से काम नहीं हो पा रहा है, इसलिए लाइन में फाल्ट या नेटवर्क फाल्ट बढ़ गया है। आत्महत्या करने को मजबूतर हैं कांट्रेक्ट वर्कर यूनियन ने यह भी कहा कि पिछले 14 महीनों से मजदूरी का भुगतान नहीं होने के कारण 13 कांट्रेक्ट वर्करों ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली है। इससे पहले कंपनी वीआरएस (VRS) की योजना पर अमल कर चुकी है। इसके बावजूद नियत तारीख पर मजदूरों को वेतन का भुगतान नहीं हो पा रहा है। इस बारे में का पक्ष जानने के लिए क्वेरी भेजी गई है, लेकिन उसका जवाब नहीं मिल पाया है। मुख्यालय से जारी हो चुका है पत्र बीएसएनएल के डाइरेक्टर, एचआर (Director HR) की अनुमति के बाद इसके मुख्यालय से बीते 1 सितंबर को ही एक आदेश जारी हो चुका है। इस आदेश में कंपनी ने अपने चीफ जनरल मैनेजरों (CGM) से कहा है कि वे खर्च को घटायें और कांट्रेक्ट वर्करों से काम करने की प्रथा पर विराम लगायें। पत्र में कहा गया है कि बीएसएनएल के अधिकांश सर्कल में क्लस्टर एप्रोच को लागू किया जा चुका है, ऐसे में कांट्रेक्ट पर काम करने वाले सिक्योरिटी स्टॉफ और हाउसकीपिंग स्टॉफ को रखने का अब कोई औचित्य नहीं है। आदेश में कहा गया है कि कंपनी के अध्यक्ष की इच्छा है कि हर सर्कल में कांट्रेक्ट वर्कर को हटाने के लिए एक क्लियर रोडमैप बनाया जाए। 30 हजार कांट्रेक्ट वर्करों को पहले ही हटाया जा चुका है बीएसएनएल कर्मचारी यूनियन के महासचिव पी अभिमन्यु के मुताबिक Retrenchment प्रक्रिया में लगभग 30,000 ठेका मजदूरों को पहले ही घर भेज दिया गया है। अब इस नए आदेश से 20,000 से अधिक कांट्रेक्ट वर्कर घर जाने को मजबूर होंगे। वीआरएस योजना के बाद स्थिति बिगड़ी उनका कहना है कि वीआरएस योजना - 2019 पर अमल के बाद तो कांट्रेक्ट वर्करों से काम कराना और जरूरी हो गया है। वीआरएस के जरिये करीब 79,000 पक्के कर्मचारियों को घर भेजा गया है। इसलिए जहां पक्के कर्मचारी काम करते थे, वहां कांट्रेक्ट वर्करों से काम कराया जा रहा है। उन्हें भी जब हटा दिया जाएगा, तो फिर बीएसएनएल का काम कैसे चलेगा।
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