‘नेफेड की सरसों बिकवाली से बाजार नरम, खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने की जरूरत’

नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर (भाषा) सस्ते विदेशी खाद्य तेल का आयात और सहकारी संस्था नेफेड की सरसों बिकवाली जारी रहने से बीते सप्ताह तेल तिलहन बाजार में नरमी का रुख बरकरार रहा। सरसों जहां सप्ताह मध्य की तेजी के बाद नरमी में आ गई वहीं मूंगफली 50 रुपये तक नरम पड़ गई। मूंगफली तेल 20 रुपये नरम पड़ गया। सीमित घटबढ़ में सरसों मिल डिलीवरी तेल सप्ताह के दौरान 8,150 रुपये तक बिकने के बाद सप्ताहांत 8,050 रुपये क्विंटल रह गया। बाजार सूत्रों का कहना है कि देश में खाद्य तेलों का उत्पादन कुल खपत के मुकाबले कम रहने के बावजूद सरसों और सोयाबीन न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे बिक रही हैं। सस्ते खाद्य तेलों का आयात लगातार बढ़ते जाने के कारण यह स्थिति है। ऊपर से बुवाई शुरू होने के समय सहकारी संस्था राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) के बाजार में सरसों बेचने से मजबूत होता बाजार फिर से नरम पड़ गया। सूत्रों के अनुसार पशु चारे के लिहाज से देश में तिलहन- तेल उत्पादन बढ़ाना जरूरी है। क्योंकि तेल, तिलहन से निकलने वाली खल पशुओं के लिये बेहतर चारा होती है। इसका उत्पादन कम होने की वजह से पशुचारे की कमी का सामना करना पड़ता है और इसका असर दूध उत्पादन पर पड़ सकता है। सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4,200 रुपये क्विंटल है, जबकि बीते सप्ताह स्थानीय मंडी में इसका भाव 4,050 से 4,070 रुपये के बीच रहा। कारोबारी सूत्रों ने कहा है कि सरकार को खाद्य तेल उद्योग में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम उठाना चाहिये। सरकार अगर देश में तिलहन और तेल उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देती है तो इससे करोड़ों लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा। तेल, तिलहन उत्पादन बढ़ने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी और अतिरिक्त खल का निर्यात किया जा सकेगा। बीते सप्ताह सरसों मिल डिलीवरी तेल 8,050 रुपये क्विंटल पर मामूली 10 रुपये ऊंचा रहा। मूंगफली मिल डिलीवरी (गुजरात) का भाव 20 रुपये घटकर 9,980 रुपये क्विंटल रह गया। सोयाबीन मिल डिलीवरी (दिल्ली) 70 रुपये घटकर 8,080 रुपये क्विंटल रह गया। सरसों कच्ची घानी और पक्की घानी दस- दस रुपये प्रति टिन नीचे रहे। कच्चा पॉम तेल (कांडला) का भाव 5,446 रुपये क्विंटल पर टिका रहा जबकि रिफाइंड पामोलिन 10 रुपये मजबूत होकर 6,860 रुपये क्विंटल बोला गया। बाजार सूत्रों का कहना है कि देश में 31 अक्टूबर 2019 को समाप्त होने वाले तेल वर्ष में खाद्य तेलों का आयात 160 लाख टन से अधिक रहने का अनुमान है। अगले साल इसके और बढ़ने का अनुमान है। सोयाबीन की पैदावार इस वर्ष करीब 90 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 109 लाख टन से अधिक रही थी। सरसों का उत्पादन 98 लाख टन रहा था, जिसमें नेफेड के जरिये सरकारी खरीद मात्र 10 लाख टन की रही। बाकी घटे भाव पर बाजार में बिकी। अब जबकि नई बुवाई शुरू होने जा रहा है, बाजार को मजबूती देने की जरूरत है।


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