
शाश्वत मोहंती & करुणजीत सिंह, नई दिल्ली जून तिमाही में नॉमिनल ग्रॉस डोमेस्टिक प्रॉडक्ट (GDP) में बड़ी गिरावट के बाद सरकार के लिए इस वित्त वर्ष में टारगेट को पूरा करना मुश्किल हो सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ग्रोथ घटने से टैक्स कलेक्शन भी अनुमान से कम हो सकता है। पहली तिमाही में नॉमिनल GDP ग्रोथ घटकर 8 पर्सेंट पर आ गई, जो 2002-03 से इसका सबसे निचला स्तर है। सरकार को अब अपने फिस्कल मैथ पर दोबारा काम करना पड़ सकता है क्योंकि बजट के अनुमान 11 पर्सेंट की अनुमानित नॉमिनल GDP ग्रोथ पर आधारित थे। नॉमिनल GDP ग्रोथ में इन्फ्लेशन के लिए अजस्टमेंट नहीं किया जाता। वित्त वर्ष 2020 के लिए बजट में फिस्कल डेफिसिट का टारगेट GDP का 3.3 पर्सेंट रखा गया था। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से सरप्लस ट्रांसफर रेवेन्यू कलेक्शन में कमजोरी की कुछ भरपाई करेगा, लेकिन सरकार के पास इकॉनमी को कोई पैकेज देने की गुंजाइश नहीं बनेगी। नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी (NIPFP) के प्रफेसर एन आर भानुमूर्ति ने कहा, 'हमें मौजूदा वर्ष में 3.5-3.6 पर्सेंट के फिस्कल डेफिसिट का अनुमान है। टैक्स कलेक्शन अनुमान से काफी कम रहेगा, इनडायरेक्ट टैक्स में अधिक कमी आएगी।' एक सरकारी अधिकारी ने इस पर सहमति जताई कि इस वर्ष टैक्स कलेक्शन के टारगेट तक पहुंचने के लिए जरूरी ग्रोथ रेट हासिल होना मुश्किल है। उन्होंने बताया, 'नॉमिनल GDP ग्रोथ में कमी के साथ केवल डायरेक्ट टैक्स के कलेक्शन में कम से कम 50,000 करोड़ रुपये की गिरावट हो सकती है।' रेटिंग एजेंसी इकरा की प्रिसिंपल इकनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा, 'पिछले वित्त वर्ष के टैक्स कलेक्शन के आधार पर इस वर्ष के लिए बजट में दिए गए लक्ष्य हासिल होना मुश्किल है।' वित्त वर्ष 2020 के लिए 24.6 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू पिछले वर्ष से 18.3 पर्सेंट बढ़ना जरूरी है। कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स के डेटा के अनुसार, अप्रैल-जुलाई में फिस्कल डेफिसिट 5.47 लाख करोड़ रुपये का था, जो पूरे वित्त वर्ष के लिए बजट के अनुमान का 77.8 पर्सेंट है। इंडिया रेटिंग्स के चीफ इकनॉमिस्ट डी के पंत और HDFC बैंक की इंडिया इकनॉमिस्ट साक्षी गुप्ता ने कहा कि अगर ग्रोथ में मजबूत रिकवरी नहीं होती तो सरकार के लिए टैक्स रेवेन्यू और फिस्कल डेफिसिट के टारगेट को हासिल करना बड़ी चुनौती होगी। हालांकि, क्रिसिल के चीफ इकनॉमिस्ट डी के जोशी जैसे कुछ एक्सपर्ट्स को सरकार के फिस्कल डेफिसिट टारगेट को हासिल करने और पूरे वर्ष के लिए नॉमिनल GDP ग्रोथ 10 पर्सेंट पर पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, 'अर्थव्यस्था की गति धीमी होने पर रेवेन्यू जेनरेशन में मुश्किल आती है। उत्पादन घटने और इनडायरेक्ट टैक्स में कमी से खपत में कमजोरी का संकेत भी मिल रहा है। इसके बावजूद मेरा मानना है कि पूरे वर्ष की नॉमिनल GDP 8 पर्सेंट से अधिक रहेगी।'
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