नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) सरकार जल्द ही फर्जी निदेशक पहचान संख्या (डीआईएन) रखने वालों का पता लगाने के लिये उपलब्ध "आंकड़ों का विश्लेषण" शुरू करेगी। कंपनियों के निदेशक मंडल में पात्रता रखने वाले लोगों को यह विशिष्ट संख्या आवंटित की जाती है। उल्लेखनीय है कि कंपनियों में निदेशकों के लिये 12 लाख से अधिक लोगों ने ही केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) नियमों का अनुपालन करते हुये निर्धारित समयसीमा के भीतर जानकारी दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा कि सिर्फ दो दिन (14 व 15 सितंबर) में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को निदेशक पहचान संख्या धारकों से दो लाख से ज्यादा केवाईसी प्राप्त हुये हैं। केवाईसी जानकारी देने की अंतिम तिथि 15 सितंबर थी। अधिकारी ने कहा कि कारपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा बनाये गई रजिस्ट्री में करीब 33 लाख सक्रिय डीआईएन। है। जिसमें करीब 12.15 लाख डीआईएन धारकों ने ही केवाईसी नियमों का अनुपालन किया है। करीब 21 लाख लोग इसके अनुपालन में नाकाम रहे। अधिकारी के मुताबिक, फर्जी या नकली डीआईएन धारकों की पहचान करने के लिये व्यापक स्तर पर डेटा विश्लेषण किया जायेगा। सरकार उपलब्ध जानकारी का विश्लेषण कर इन फर्जी पहचान संख्या रखने वालों को बाहर करेगी। सरकार की इस पूरी कवायद का मकसद मुखौटा कंपनियों के जरिये अवैध धन प्रवाह को रोकना है। भाषा पवन महाबीरमहाबीर
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